आज 30 जून- हूल महा या अंग्रेजों के खिलाफ हुई संताल बिद्रोह का ऐतिहासिक दिवस है। जब सिदो मुर्मू के नेतृत्व में 4 भाइयों (सिदो, कान्हू, चांद, भैरो) और दो बहनों (फूलो और झानो) ने भोगनाडी गांव, साहेबगंज ज़िला में 10 हज़ार संताल सिपाहियों के साथ 30 जून 1855 को क्रांति का बिगुल फूंका था। अंग्रेजों को मजबूर होकर 22 दिसम्बर 1855 को संताल परगना का गठन करना पड़ा। कार्ल मार्क्स ने इसे अपने एक आलेख में भारत की प्रथम जनक्रांति बतलाया है।
बुधवार को इस अवसर पर आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने अपने कदमा, जमशेदपुर निवास में संताल बिद्रोह के बीर शहीदों को श्रंद्धाजलि अर्पित कर उनके सपनों को सच बनाने का संकल्प लिया।
आदिवासी सेंगेल अभियान के नेता/ कार्यकर्ता 5 प्रदेशों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में संथाल विद्रोह के ऐतिहासिक दिवस का सम्मान करते हुए संकल्प ले रहे हैं कि:-
1. सीएनटी/एसपीटी कानून का पालन होना चाहिए।
2. सिदो मुर्मू और बिरसा मुंडा के वंशजों के लिए दो ट्रस्टों का गठन हो और प्रत्येक ट्रस्ट को एक सौ करोड़ रुपयों का जमा पूंजी प्रदान किया जाए।
3. शहीद सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की संदिग्ध हत्या और रूपा तिर्की की संदिग्ध हत्या पर अविलंब सीबीआई जांच हो।
4. शहीदों का सपना "अबुआ दिसुम अबुआ राज" स्थापित हो।
5. सरना धर्म कोड मान्यता और झारखंड में संताली प्रथम राजभाषा का दर्जा प्राप्त हो।
उपरोक्त जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति द्वारा जारी की गई है।