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बाल कविता में छोटे बच्चों में से एक भाई अपनी छोटी बहन के लिए चन्दा मामा से गरम-गरम रोटी की मांग करते हुए दोनों भाई-बहन कहते हैं कि -
ओ चन्दा मामा, तुम मेरी छोटी बहन और मेरे लिए रोटी दो, तुम हम दोनों के लिए रोटियां दो।
ओ चन्दा मामा, हमारी मां का दिया हुआ रोटी गड्ढे में गिर गया, जिसे एक लालची बुढि़या उठा ली और अकेले खा गई, हमें नहीं दी।
ओ चन्दा मामा, छिलका रोटी नहीं, छाना हुआ रोटी हो तथा ठण्डा नहीं गरम हो, ओ चन्दा मामा तुम हमें रोटियां दो, हमें रोटियां दो।
साभार - चींचो डण्डी अरा ख़ीरी,
लेखक - डा. नारायण उरांव 'सैन्दा', प्रकाशक - अद्दी अखड़ा, रांची, संस्करण- 2022.
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