इस पुस्तिका का लेखन एवं प्रकाशन पंखराज साहेब बाबा कार्तिक उरांव द्वारा कराया गया था। इस पुस्तिका में कार्तिक बाबा द्वारा देश की आजादी के बाद, वर्ष 1950 से 1970 (लगभग 20 वर्ष) के मध्य जंगलों एवं पहाड़ों के बीच रह रहे परम्परागत आदिवासियों के बारे में भारत देश की जनता एवं सरकार के समक्ष, समाज की दुर्दशा तथा संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा के शिकार दबे-कुचले लोगों की आवाज को शिखर तक पहुंचाने तथा रौशनी दिखाने का कार्य किया गया है। प्रस्तुत स्वरूप, पंखराज साहेब बाबा कार्तिक उरांव के विचारों को जानने एवं समझने की इच्छा रखने वाले सगाजनों के लिये मूल पुस्तिका की छायाप्रति आप पाठको के लिए प्रस्तुत है। - अद्दी अखड़ा।
इस पुस्तिका का पीडीएफ संस्करण नीचे पढ़ सकते हैं..
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