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पारम्परिक मौसम विज्ञानी द्वारा मानसून का पूर्वानुमान : 2023 के लिए

गुमला : जिला, सिसई : थाना के सैन्दा ग्राम निवासी श्री गजेन्द्र उराँव, पिता स्व0 डुक्का उरांव, उम्र 67 वर्ष द्वारा दिनांक 28 मई 2023, दिन रविवार को बिशुनपुर (गुमला) में वर्ष 2023 का मानसून पूर्वानुमान किया गया। श्री गजेन्द्र उरांव विगत 10 वर्षों से लगातार परम्परागत तरीके से बोये जाने वाले धान के बीज को देखकर, मानसून पूर्वानुमान किया करते हैं, जो लगभग खरा उतर रहा है। उराँव परम्परा के मानसून पूर्वानुमान में पूरे मानसून को तीन चरण में वर्गीकृत किया गया है। पहला चरण - पच्चो करम से हरियनी पूजा तक। दूसरा चरण - हरियनी पूजा से करम पूजा तक तथा तीसरा चरण - करम पूजा से सोहरई पूजा तक। परम्परागत आदिवासी मानसून पूर्वानुमान कर्ता श्री गजेन्द्र जी ने कहा कि - इस वर्ष 2023 के प्रथम चरण में वर्षा छिटपुट होगी। इसी तरह दूसरे चरण के प्रथम हिस्से में भी वर्षा कम है, पर दूसरे चरण के मध्य भाग से वर्षा आरंभ होगी और बाद वाले हिस्से एवं तीसरे चरण में अच्छी वर्षा होगी। इस तरह आकलन है कि इस बार सावन, भादो एवं आश्विन महीने में वर्षा, सामान्य से अधिक होगी। परम्परागत मानसून पूर्वानुमान कर्ता श्री उराँव का मानना है कि इस बार खेती के लिए धान का बिड़ा या बिचड़ा सामान्य अवसर से 15 दिन बाद करें।
    यह पुर्वानुमान, श्री गजेन्द्र उराँव जी ने विकास भारती, बिशुनपुर द्वारा आयोजित, डा० भीमराव अम्बेदकर सभागार में कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि कार्यशाला (संदर्भ: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं मातृभाषा शिक्षा) में की गईं। इस कार्यशाला में झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय, ब्राम्बे, राँची से प्राध्यापक, डॉ० रजनीकांत पाण्डेय, साहित्य अकादमी के सदस्य श्री महादेव टोप्पो, अद्दी अखड़ा, राँची के उपाध्यक्ष श्री सरन उराँव, कुँड़ुख़ विभाग, डोरण्डा कालेज रांची के विभागाध्यक्ष डा० नारायण भगत एवं राँची विश्वविद्यालय, राँची के शोधार्थी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कुँड़ुख़ भाषा-तोलोंग सिकि (लिपि) शिक्षा केन्द्र के शिक्षकगण उपस्थित थे। 
रिपोर्टर:

Dr Narayan Oraon
डॉ० नारायण उराँव ‘सैन्दा’
सैन्दा, सिसई, गुमला।
 

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