टाटा स्टील फाउण्डेशन, जमशेदपुर एवं अद्दी कुड़ुख़ चाःला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची, संस्था के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 21.10.2024 से 25.10.2024 तक‘‘एजेरना बेड़ा प्रोजेक्ट’’(कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि/लिपि प्रशिक्षण कार्यक्रम) का द्वितीय कार्यशाला, ट्राइबल कल्चर सेंटर (Tribal Culture Centre) सोनारी, जमशेदपुर में 05 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न हुआ। इस कार्यशाला में भाषा शिक्षण ईकाई से 34 केन्द्र शिक्षक, 05 म्यूजिक सेन्टर के केन्द्र शिक्षक, 08 संयोजक, 01 एरिया कोर्डिनेटर तथा 01 कार्यालय सहायक उपस्थित थे। कार्यशाला में प्रशिक्षक के रूप में साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सदस्य श्री महादेव टोप्पो, उरांव सस्कृति प्रशिक्षक श्री सरन उराँव, तोलोंग सिकि प्रशिक्षक डॉ. नारायण उराव एवं श्री महेश एस.मिंज, प्राशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी श्री धरम शाह उरांव उपस्थित थे। टाटा स्टील फाउण्डेशन, जमशेदपुर की ओर से ज्तपइंस प्कमदजपजलए ॅपदह के अधिकारी एवं सहकर्मी में से श्री शिव शंकर कांडेयोंग, श्री आनंद बोयपोई, श्री बिरेन तिउ, श्री सालखन मुर्मू, श्री रीतेश टुडू श्री रामचन्द्र टुडू आदि द्वारा कार्यशाला सम्पन्न कराया गया।
इस कार्यशाला का शुभारंभ टाटा स्टील फाउंडेशन के पदाधिकारियों एवं अद्दी कुँड़ुख़ चाला अखड़ा धुमकुड़िया पड़हा, संस्था के पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया गया। यह कुँड़ुख़ तोलोंग सिकि लिपि प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से कुँड़ुख़ भाषा का विकास और संरक्षण सह संवर्धन के उदेश्य से किया गया था। इस कार्यक्रम में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के शिक्षकों ने भाग लिया। इस अवसर पर हिंदी साहित्य के लेखक श्री महादेव टोप्पो ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए बताया की हमारी कुँड़ुखै भाषा लिखित और मौखिक दोनों रुप में सभी जनों तक पहुँचाने की जरूरत है, तब ही हमारी कुँड़ुख़ भाषा सरकारी रिकार्ड व भाषा-शिक्षा और बाजार शिक्षा व्यवस्था में उरांव समुदाय के बीच प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी। साथ ही समाज में लोग अपनी भाषा के अनुसार व्यापार में अपनी भुमिका सरल हो पायेगी। इसके साथ पढ़े-लिखे नवजवानों को साहित्य संग्रह करने की जरूरत है। जिससे सरकार को दिखाकर सरकार की आठवीं अनुसुचि में शामिल किया जा सकता है। तोलोंग सिकि प्रशिक्षक, श्री महेश एस. मिंज द्वारा शिक्षकों को संबोधित करते हुए बतलाया गया कि उरांव समुदाय की अपनी पहचान शादियों से कुँड़ुख़ भाषा से घनिष्टता है और इसे बचाना ही हमारी पहचान और जीत है। हमारा समुदाय अपनी भाषा से ही हमारे उरांव समुदाय के लिए पहचान दियें है। किसी भी समुदाय का पहचान भाषा से ही है। इसे संवारना हम सभी का कर्तव्य है। डा. नारायण उरांव ने लोगों को संबोधित करते हुए बताये की हर हाल में अपनी तोलोंग सिकि लिपि को धुमकुड़िया से एम ए तक पढ़ाई के लिए आवाज बनाने की जरूरत है। आज अपनी भाषा को सरकार की पोर्टल पर ले जाने के लिए अपनी भाषा की लिपि अति आवश्यक है। हमारी लिपि का विस्तार के साथ सहित्य की ओर भी हमारे पढ़े-लिखे लोगो को कहानी और कविता का संग्रह करने की जरूरत है। हमारी कुँड़ुख़ भाषा ही हमारी पहचान है इसके लिए सभी को एक मंच पर आना ही पड़ेगा। आज हमारे पास लिपि है इसे आगे ले जाना है सरकार आज हमारी भाषा को मान्यता दे दिया है। अब हमें सरकार की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए साहित्य रचना करने की जरुरत है। मौके पर टाटा स्टील फाउंडेशन के पदाधिकारियों के साथ अद्दी अखघ्ड़ा राँची के सदस्य, बिहार, बंगाल और झारखंड के शिक्षक- शिक्षिकाओं ने भाषा का बिकास और संवर्धन के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किये।
रिपोर्टर -
सुकरू उरांव, केन्द्र शिक्षक
एजेरना बेड़ा प्रोजेक्ट,
प्रस्तावित उच्च विद्यालय, शिवनाथपुर
सिसई, गुमला, झारखण्ड।