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फागु सेंदेरा की मुण्‍डारी लोककथा

फागुन का महीना खत्म होने ही वाला है, होलिका दहन एवं उसके दूसरे दिन होली का त्योहार भारत
के लगभग हर हिस्से में बहुत ही उल्लास और जोश के साथ मनाया जाता है, किंतु यदि  मुंडा
जनजाति( होडो) की आदिम परंपरा एवं लोक कथाओं पर नजर डाले तो फागू नेग एवं सेंदरा की
परंपरा दिखाई पडती है। मुंडा जनजाति प्राचीन काल से ही फागू नेग और सेंदरा की परंपरा को पीढी
दर पीढी करता आया है, चूंकि होली एवं फागू परब वर्ष के एक समय में होता है इसी कारण लोगो
द्वारा इसे एक समझ लिया जाता है जबकि दोनो में कोई समानता नहीं है। आइए हम प्राचीन काल 
के उस अद्भुत सफर पर चलते है जब फागुन पूर्णिमा  के समय फागू नेग एवम सेंदरा परंपरा की नीव
पडी। विस्‍तार से पढि़ये नीचे पीडीएफ में.. 

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