कुँड़ुख़ भाषा की लेखन समस्या और गिनती को सुगम एवं सरल करने हेतु अब तक कर्इ पहल हुए। इस क्रम में दिनांक 26.08.2000 को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची के सभागार में सम्पन्न हुए कार्यशाला में शून्य (0) का नामकरण ‘निदि’ रखा गया। उसके बाद दिनांक 24.09.2001 को पुन: जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के सभागार में कुँड़ुख़ गिनती मानकीकरण संबंधी दूसरी बैठक हुर्इ, जिसमें आम सहमति से निर्णय लिया गया कि शून्य के लिए प्रस्तावित नामकरण ‘निदि’ को स्वीकार किया जाय तथा शून्य वाली बड़ी संख्या का नाम दैनिक कार्यों के उपयोग में आने वाली वस्तुओं के नामकरण के समरूप गिनती के नामकरण को रखे जाँए, जिससे याद करने एवं समझने में आसानी होगी तथा गणित सीखने में आसानी होगी। .. पूरा आलेख पढ़ें नीचे पीडीएफ में..
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