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डॉ गिरिधारी राम गौँझू नहीं रहे.. !

समाचार दु:खद है.. झारखंड की संस्‍कृति, भाषा व सामाजिक उत्‍थान के लिये हमेशा संघर्षरत प्रणेता डॉ गिरिधारी राम गोंझू का असमय निधन हो गया है। उन्‍होंने आज गुरूवार 15 अप्रैल 2021 को रांची स्थित रिम्‍स अस्‍पताल में अंतिम सांस लीं। उन्‍हें हर्ट अटैक आया था। 

डॉ गिरिधारी राम गौंझू रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने कई नागपुरी साहित्य की रचना की है। नागपुरी साहित्य को समृद्ध करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। वे प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी भी थे।

डॉ गिरिधारी राम गौंझू के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार उनकी तबीयत खराब थी। इसके बाद उन्हें रिम्स ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। बताया जाता है कि काफी पहले वे कोमा में चले गये थे। इसके बाद धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ था। वे हमेशा नागपुरी साहित्य-संस्कृति की मुखर आवाज रहे।

स्‍वर्गीय गौँझू के निधन पर श्रद्धांजति के स्‍वर..
जाने-माने कथाकार रणेन्‍द्र ने अपने फेसबुक पर लिखा: झारखंड की सांस्कृतिक अस्मिता के व्याख्याकारों में से एक , वर्तमान में सर्वप्रमुख  ,डॉ गिरिधारी राम गोंझू ' गिरिराज '  का यूँ अचानक छोड़ कर चले जाने ने हमें अनाथ सा कर दिया है ।
पद्मश्री रामदयाल मुंडा , आ0 वीपी केसरी , आ0 भुवनेश्वर अनुज के बाद गंझू दादा के जाने से झारखंड का सांस्कृतिक अखड़ा सूना हो गया है। झारखंड की लोकसंस्कृति , संगीत ,नृत्य , वाद्ययंत्रों के बारे में हमारी जिज्ञासाओं का समाधान अब कौन करेगा ? एक जीता जागता एनसाइक्लोपीडिया हमें बीच मझधार में छोड़ कर चला गया। अंतिम जोहार दादा!

झारखंड के फिल्‍मकार मेघनाथ ने अंग्रेजी में लिखा: This is shocking, he was at AKHRA with Mahadev Toppo just few days ago on the request of Nandita Das to help her in script writing for her forthcoming film..

रतन तिर्की ने लिखा: एक के बाद एक़..
वो भी सरहूल परब दिन...
प्रो गिरधारी राम गौँझू भी नहीँ रहे!
जोरदाऱ अँतिम जोहार!

साहित्‍यकार महादेव टोप्‍पो ने लिखा: बेहद दुखद। अविश्वसनीय समाचार। लेकिन....... सच स्वीकारना होगा !

डॉ गिरिधारी राम गौँझू नहीं रहे.. !
समाचार दु:खद है.. झारखंड की संस्‍कृति, भाषा व सामाजिक उत्‍थान के लिये हमेशा संघर्ष प्रणेता डॉ गिरिधारी राम गोंझू का असमय निधन हो गया है। उन्‍होंने आज गुरूवार 15 अप्रैल 2021 को रांची स्थित रिम्‍स अस्‍पताल में अंतिम सांस लीं। उन्‍हें हर्ट अटैक आया था। 

डॉ गिरिधारी राम गौंझू रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने कई नागपुरी साहित्य की रचना की है। नागपुरी साहित्य को समृद्ध करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। वे प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी भी थे।

डॉ गिरिधारी राम गौंझू के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार उनकी तबीयत खराब थी। इसके बाद उन्हें रिम्स ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। बताया जाता है कि काफी पहले वे कोमा में चले गये थे। इसके बाद धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ था। वे हमेशा नागपुरी साहित्य-संस्कृति की मुखर आवाज रहे।

स्‍वर्गीय गौँझू के निधन पर श्रद्धांजति के स्‍वर..
जाने-माने कथाकार रणेन्‍द्र ने अपने फेसबुक पर लिखा: झारखंड की सांस्कृतिक अस्मिता के व्याख्याकारों में से एक , वर्तमान में सर्वप्रमुख  ,डॉ गिरिधारी राम गोंझू ' गिरिराज '  का यूँ अचानक छोड़ कर चले जाने ने हमें अनाथ सा कर दिया है ।
पद्मश्री रामदयाल मुंडा , आ0 वीपी केसरी , आ0 भुवनेश्वर अनुज के बाद गंझू दादा के जाने से झारखंड का सांस्कृतिक अखड़ा सूना हो गया है। झारखंड की लोकसंस्कृति , संगीत ,नृत्य , वाद्ययंत्रों के बारे में हमारी जिज्ञासाओं का समाधान अब कौन करेगा ? एक जीता जागता एनसाइक्लोपीडिया हमें बीच मझधार में छोड़ कर चला गया। अंतिम जोहार दादा!

झारखंड के फिल्‍मकार मेघनाथ ने अंग्रेजी में लिखा: This is shocking, he was at AKHRA with Mahadev Toppo just few days ago on the request of Nandita Das to help her in script writing for her forthcoming film..

रतन तिर्की ने लिखा: एक के बाद एक़..
वो भी सरहूल परब दिन...
प्रो गिरधारी राम गौँझू भी नहीँ रहे!
जोरदाऱ अँतिम जोहार!

साहित्‍यकार महादेव टोप्‍पो ने लिखा: बेहद दुखद। अविश्वसनीय समाचार। लेकिन....... सच स्वीकारना होगा !

कुड़ुंख टाइम्‍स की श्रद्धांजलि.. 
डॉ गौँझू का जाना झारखंड की संस्‍कृतिक यात्रा का एक दु:खद पड़ाव है!.. हमारी ओर से श्रद्धांजलि!.. - संपादक।

 
 

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