दिनांक 30 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार को कुँडुख़ भाषा एवं सांस्कृतिक पुनरूत्थान केन्द्र्‚ बम्हनी, गुमला का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ रामेश्वर उरांव (माननीय मंत्री वित्त‚ योजना एवं विकास‚ वाणिज्य कर‚ खाद्य सार्वजिनक वितरण और उपभोक्ता मामले‚ झारखंड सरकार)‚ विशिष्ट अतिथि श्री सुदर्शन भगत (माननीय सांसद लोहरदगा लोकसभा) तथा गुमला जिला के उपायुक्तय श्री सुधीर कुमार श्रीवास्तव एवं डॉ एहतेशाम वकारब (पुलिस अधीक्षक गुमला) उपस्थित थे। कार्यक्रम में अतिथियों को पहाड़ पनारी टांगर टोली एवं टोटो हाई स्कूल‚ गुमला के बच्चियों द्वारा पईरछन करते हु ए उद्घाटन स्थयल तक लाया गया। अतिथियों दवारा शिलापट का अनावरण किया गया एवं फीता काटकर भवन का उद्घाटन किया गया। भवन का उदघाटन से पूर्व डण्डा कट्टना’ पूजा अनुष्ठाउन माननीय श्री हरि पहान द्वारा संपन्न कराया गया। कार्यक्रम का शुरूआत ‘अना अद्दी मुंजुरना मलका’ प्रार्थना से हुआ तथा फूल का गुच्छा देकर अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत गीत जतरा टाना भगत विद्यालय‚ काशी टोली के बच्चोंू द्वारा प्रस्तुत किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ नारायण भगत (साहित्याकार, एवं सहायक प्राध्यापक‚ डोरंडा महाविद्यालय‚ रांची) ने कहा कि कुँडुख़ भाषा के माध्यम से इस प्रांगण में‚ भवन में‚ सेमिनार करेंगे‚ विचार गोष्ठीा करेंगे‚ कार्यशाला करेंगे‚ साथ ही साथ शोध कार्य भी करेंगे। उरांव संस्कृतिक कार्यक्रम‚ नृत्य–संगीत‚ प्रतियोगिता का आयोजन करना भी संस्थान का उदेश्य है। कुँडुख़ भाषा का संरक्षण‚ संवर्धन एवं प्रोत्साहन भी उदेश्य है‚ लेकिन इस उदेश्य की पूर्ति के लिए सिर्फ हॉल से हमारा काम नहीं चलेगा। मेरा मानना है कि यहां विचार गोष्ठी करेंगे‚ सम्मेलन करेंगे‚ लेकिन उरांव समुदाय के लिए विशेष रूप से अखड़ा एवं जतरा टाँड़ की आवयकता होती है। बिना अखड़ा और जतरा टाँड़ से हमारा उदेश्य पूरा नहीं पाएगा। मुझे याद दिलाना चाहता हूं कि एक किसान अखड़ा की आवयकता है ताकि हम विचार गोष्ठीह कर सकें एवं देश–विदेश के प्रतिनिधियों को बुलाकर कुँडुख़ भाषा का सम्मेलन आयोजित करवा सकें। यह संस्थान राज्य स्तकरीय संस्थान है‚ इसिलए पूरे राज्यद से यहां‚ लोगों को आमंत्रित कर कुँडुख़ माध्यम से‚ कुँडुख़ भाषा से विचार गोष्ठीक एवं सम्मेलन करेंगे।
महिला वक्तार खोरा पंचायत की मुखिया श्रीमती सरोज उरांव ने अखड़ा और जतरा टाँड़ के लिए 3.50 एकड़ जमीन को बंदोबस्तं कराने तथा पानी की व्यजवस्थाँ के लिए बोरिंग कराने के लिए आग्रह की। श्रीमती किरणमाला बाड़ा (अध्यक्ष‚ जिला परिषद गुमला) ने कहा कि यह खुशी की बात है कि गुमला में एक राज्यक स्तपरीय संस्थान का निर्माण हुआ है। बचपन में मैं कुँडुख़ भाषा नहीं जानती थी लेकिन कॉलेज में पढ़ाई करते हुए मैं कुँडुख़ भाषा सीख गई। अतएव गांव–घर में सभी अपने बच्चेा को कुँडुख़ भाषा सिखायें। अपने वक्त–वय में वे विशेष रूप से वित्तस मंत्री एवं सांसद से आग्रह की कि – सभी गांव में एक कुँडुख़ पुस्तघकालय स्थातपित हो। कुँडुख़ भाषा को अच्छीख तरह सीखने तथा अच्छीव पकड़ बनाने के लिए यह आवश्यक है‚ जिससे बच्चोंी का भविष्यं उज्जकवल बन सके। पूर्व विधायक श्री देव कुमार धान ने कहा कि किसी भी मजबूत समाज की पहचान उसकी भाषा–संस्कृति से होती है इसलिए यह बहुत ही महवपूर्ण संस्थान है। हम आशा करते हैं कि लोग अपनी भाषा से जुड़ने एवं आगे बढ़ाने के लिए काम करें। गुमला एसडीओ राव आनंद जी ने कहा कि जिस समाज की भाषा और संस्कृति बची रहती है उसी का विकास होता है। कुँडुख़ भाषा के उत्थान के लिए गुमला पुलिस‚ भवन की देख रेख एवं चेकिंग में भरपूर सहयोग करेगी। विशिष्टं अतिथि सांसद सुदर्शन भगत ने कहा जनजातीय भाषा का संरक्षण तथा कुँडुख़ भाषा के पुनरूत्थान हेतु स्थापित यह राज्य स्तरीय संस्थान झारखंड सहित गुमला के लिए एक उपहार है। हमारी संवृद्ध भाषा एवं संस्कृति के उत्थान तथा अग्रेतर प्रगति के लिए यह केन्द्र एक प्रशिक्षण संस्थान साबित होगा। उन्होंिने स्थानीय नागरिकों एवं ग्रामीणों की मांग के उत्तणर में कहा कि – निकट भविष्य में अखड़ा निर्माण हेतु सांसद निधि से राशि की व्यवस्था कर दी जाएगी। मुख्य अतिथि माननीय डॉ रामेश्वंर उरांव ने कहा कि झारखंड सरकार‚ आम नागरिक को उनके प्राथमिक आवयकताओं भोजन व आवास‚ शिक्षा‚ चिकित्सा‚ के साथ जनजातीय भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये कृत संकल्प है। कार्यक्रम के अंत में पहाड़ पनारी टांगर टोली की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तु त किया गया। श्री पुनई उरांव (सेवानिवृत प्रशासनिक पदाधिकारी) द्वारा धन्य वाद ज्ञापन के पश्चाेत कार्यक्रम समापन की घोषणा हुई। कार्यक्रम में उपस्थित अन्या अथितियों में से मुखिया श्रीमती सरोज उरांव तथा बम्भिनी गांव के ग्रामवासी‚ पड़हा सदस्य‚ जिला के अधिकारी एवं कर्मचारी‚ शिक्षक‚ बच्चे ‚ जनप्रतिनिधि तथा गुमला के प्रशासनिक पदाधिकार एवं क्रमचारी आदि उपस्थित थे।
संकलन एवं संपादन –
भूनेश्ववर उरांव
जतरा टाना भगत विद्या मंदिर, बिशुनपुर