सिसई (गुमला) की बहुप्रतिष्ठित कार्यकर्ता श्री मती फूलमणि उरांव नहीं रहीं। 85 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने सैन्दा स्थित आवास में 12 नवंबर 2023 रात्रि साढ़े ग्यारह बजे अंतिम सांस ली । मौके पर उनके पुत्र डॉ नारायण उरांव व दो पौत्र मौजूद थे। स्व. फूलमणि अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। बेटिंया श्रीमती नइमी उरांव, श्रीमती सोहादरी उरांव, श्रीमती सरोज उरांव, श्रीमती रत्ना उरांच व डॉ बैज्यंती उरांच सहित समूचा परिवार शोकाकूल है।
ज्ञात हो कि स्व फूलमणि उरांव कुंड़ुंख भाषा की लिपि तोलोंग सिकि के अविष्कारक डॉ नारायण उरावं की मां थीं।
स्व. फूलमणि उरांव एक सामाजिक कार्यकर्ता के अलावा राजी पड़हा, भारत की तत्कालीन उप-बेल थीं। जिसके चलते समाज को लोगों के साथ उठने बैठने से उनको बल मिलता था।
डॉ उरांव बताते हैं कि उनके मजदूर किसान पिता मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए मना कर दिये थे। क्योंकि मेडिकल का खर्चीला पढ़ाई का खर्च पूरा नहीं कर पाते। इसपर उनकी मां ने कहा- नीन कला अउर ना:मे लिखतआ, ए:न झरा बी:सा-बी:सा निंग्गन पढ़तोओन। मां ने अपना वचन पूरा किया और उनका बेटा एमबीबीएस पढ़ाई पूरा कर डॉक्टर बन गया।
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