डॉ. सोनाझरिया मिंज एक प्रसिद्ध आदिवासी विद्वान, अकादमिक, और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो झारखंड के गुमला जिले के ओरांव जनजाति से हैं। उनका जन्म दिसंबर 1962 में हुआ था, और वे वर्तमान में नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम्स साइंसेज की प्रोफेसर हैं। उनकी कहानी संघर्ष, प्रेरणा, और सफलता से भरी हुई है, खासकर आदिवासी और महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में, यहाँ उनके जीवन, शिक्षा, करियर, और योगदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
1.जन्म और परिवार:
सोनाझरिया मिंज का जन्म गुमला, झारखंड में हुआ, जो देश के सबसे कम विकसित जिलों में से एक है। वे पराक्लेटा मिंज और स्वर्गीय डॉ. निर्मल मिंज की चार बेटियों में सबसे बड़ी हैं। उनके पिता, डॉ. निर्मल मिंज, एक लूथरन बिशप एमेरिटस और सामाजिक विचारक थे, जिन्होंने ओरांव जनजाति की कुरुख भाषा के विकास के लिए कार्य किया और 2016 में भाषा सम्मान प्राप्त किया। उनके परिवार ने उन्हें शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरित किया।
2.बचपन और संघर्ष:
आदिवासी होने के कारण, सोनाझरिया को शिक्षा के दौरान काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्हें रांची के एक इंग्लिश-मीडियम स्कूल में दाखिला नहीं मिला, क्योंकि वे आदिवासी थीं। इसके बावजूद, उन्होंने रांची के सेंट मार्गरेट्स हिंदी-मीडियम स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ ज्यादातर आदिवासी विद्यार्थी और अध्यापक थे। उनके गैर-आदिवासी अध्यापकों ने उन्हें गणित जैसे विषयों में आगे बढ़ने से रोका, लेकिन उन्होंने अपनी लगन से इन चुनौतियों को पार किया।
3.प्रारंभिक शिक्षा:
सोनाझरिया ने अपनी स्कूली शिक्षा रांची, झारखंड से पूरी की, जहाँ उन्होंने एथलेटिक्स और खेलों में भी हिस्सा लिया, जो उनकी संकल्प शक्ति को मजबूत करने में मददगार रहा।
4.उच्च शिक्षा:
प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (PUC): ज्योति निवास कॉलेज, बेंगलुरु (1980)।स्नातक: वीमेन्स क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई, से गणित में।स्नातकोत्तर: मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई, से गणित में MSc।M.Phil. और PhD: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में। उन्होंने 1997 में PhD पूरी की।उनकी शिक्षा का सफर इसलिए भी प्रेरणादायक है क्योंकि उन्होंने उत्तर भारत में आदिवासी होने के कारण भेदभाव का सामना किया, लेकिन दक्षिण भारत (बेंगलुरु और चेन्नई) में उन्हें अधिक समावेशी वातावरण मिला, जहाँ उन्होंने अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित किया।5.करियरअकादमिक यात्रा:
1990: बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल में कंप्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में शुरुआत।1991: मदुरै कामराज विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस विभाग में कार्य किया।1992: JNU के स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम्स साइंसेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनीं।1997: एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर उन्नति।2005: प्रोफेसर बनीं और अभी भी JNU में यही पद संभाल रही हैं।2009-2011: स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम्स साइंसेज की डीन रहीं।2020-2023: सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय (SKMU), दुमका, झारखंड की कुलपति रहीं, जहाँ उन्होंने आदिवासी संस्कृति और भाषाओं के लिए नए कार्यक्रम शुरू किए, जैसे संताल संस्कृति अध्ययन और जनजातीय कला व शिल्प पर सर्टिफिकेट कोर्स।
6शोध रुचियाँ:
उनका शोध कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डेटा माइनिंग, जियो-स्पेशियल एनालिटिक्स, रफ सेट थ्योरी, और ग्रैनुलर कंप्यूटिंग पर केंद्रित है। उन्होंने 82 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में शामिल हैं। उनके कार्य में सैटेलाइट डेटा का उपयोग आपदा प्रबंधन और कृषि के लिए किया गया है।7.उल्लेखनीय प्रकाशन:
"मल्टी-व्यू एनसेंबल लर्निंग: एन ऑप्टिमल फीचर सेट पार्टिशनिंग फॉर हाई डायमेंशनल डेटा क्लासिफिकेशन" (नॉलेज एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम, स्प्रिंगर, 2015)।"बिनराइजिंग चेंज फॉर फास्ट ट्रेंड सिमिलरिटी बेस्ड क्लस्टरिंग ऑफ टाइम सीरीज डेटा" (लेक्चर नोट्स इन कंप्यूटर साइंस, स्प्रिंगर, 2015)।"क्रॉप सीड्स क्लासिफिकेशन यूजिंग ट्रेडिशनल मशीन लर्निंग एंड डीप लर्निंग टेक्निक्स: ए कॉम्प्रिहेंसिव सर्वे" (2024)।यूनेस्को को-चेयर: 2025 में, सोनझरिया मिंज को यूनेस्को चेयर की को-चेयरपर्सन के रूप में नियुक्त किया गया, जो भारत की पहली आदिवासी महिला के रूप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह पद उन्हें आदिवासी ज्ञान, भाषाओं, और संस्कृति को विश्व मंच पर बढ़ावा देने का अवसर देता है।8.सामाजिक योगदानआदिवासी अधिकार:
सोनझरिया मिंज आदिवासी, दलित, और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों के लिए कार्य करती हैं। उन्होंने JNU टीचर्स एसोसिएशन (JNUTA) की अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर आवाज उठाई।संताल संस्कृति अध्ययन: SKMU के कुलपति के रूप में, उन्होंने संताल संस्कृति और आदिवासी ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रम शुरू किए, जो आदिवासी विद्यार्थियों के लिए शोध के अवसर खोलते हैं।
9.विज्ञान-धर्म संवाद:
उन्होंने विज्ञान और धर्म के बीच संवाद पर भी कार्य किया है और इस विषय पर प्रकाशन किए हैं।
10.पिता के साथ योगदान:
उन्होंने अपने पिता, डॉ. निर्मल मिंज, के विचार और कार्य को आगे बढ़ाया, जिन्होंने आदिवासी बौद्धिक प्रवचन को मजबूत किया। उन्होंने दो पुस्तकों का सह-संपादन किया: पर्ल्स ऑफ इंडिजिनस विस्डम और इंडिजिनस पीपल्स ऑफ इंडिया प्रॉब्लम्स एंड प्रॉस्पेक्ट्स, जो उनके पिता के योगदान पर आधारित हैं।
11.पुरस्कार और उपलब्धियाँ :
कुलपति, SKMU (2020-2023): वे झारखंड की दूसरी आदिवासी महिला थीं जो किसी विश्वविद्यालय की कुलपति बनीं।यूनेस्को को-चेयर (2025): भारत की पहली आदिवासी महिला जो इस पद पर नियुक्त हुईं, जो जनजातीय ज्ञान और भाषाओं के पुनर्जनन के लिए कार्य करेगी।बार्सिलोना यूनेस्को हायर एजुकेशन कॉन्फ्रेंस (2022): उन्होंने जनजातीय/आदिवासी ज्ञान के उच्च शिक्षा में भूमिका पर सत्र में हिस्सा लिया।
12.अकादमिक नेतृत्व:
उनकी 82 प्रकाशन और 1,986 उद्धरण (गूगल स्कॉलर के अनुसार) उनके अकादमिक प्रभाव को दर्शाते हैं।वर्तमान कार्यकर्म2023 में SKMU का कार्यकाल पूरा करने के बाद, वे JNU में प्रोफेसर के रूप में वापस आई हैं और अपने शोध और शिक्षण को जारी रखी हैं।2025 में, उन्होंने झारखंड की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की से मुलाकात की और आदिवासी मुद्दों पर चर्चा की, जो उनके जनजातीय अधिकारों के प्रति समर्पण को दर्शाता है।13.प्रेरणादायक बातें:
सोनझरिया मिंज ने अपने जीवन में भेदभाव और सामाजिक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा और अकादमिक करियर के जरिए इन्हें पार किया। उनकी कहानी आदिवासी समुदाय, खासकर महिलाओं के लिए, एक प्रेरणास्रोत है।उनका कहना है कि उनकी नियुक्ति (कुलपति और यूनेस्को को-चेयर के रूप में) न केवल उनकी अकादमिक उपलब्धि का प्रमाण है, बल्कि सामाजिक न्याय और आदिवासी प्रतिनिधित्व का भी प्रतीक है।
2005 – till date: Professor, School of Computer & Systems Sciences, JNU, New Delhi
1997 – 2005: Associate professor, School of Computer & Systems Sciences, JNU, New Delhi
1992-1997: Assistant Professor, School of Computer & Systems Sciences, JNU, New Delhi
1991-1992: Assistant Professor, Dept. of Computer Science, Madurai Kamraj University, Madurai, TN
1990 – 1991: Assistant Professor Dept, of Computer Science, Barkatullah University, Bhopal, MP
Best Peer Reviewed Publications
1. Vinesh Kumar and Sonajharia Minz, "CCRA: channel criticality based resource allocation in cognitive radio networks," International Journal of Communication Systems, published online: 7 JUL 2015, DOI:10.1002/dac.3012 2015. (SCI indexed).
2. Vipin Kumar and Sonajharia Minz, “Multi-view Ensemble Learning: An optimal Feature set Partitioning for High Dimensional Data Classification,” Knowledge and Information System, SPRINGER, pp:1-59, 2015. (SCI Indexed Journal).
3. Ibrahim K. A. Abughali, Sonajharia Minz, “Binarizing Change for Fast Trend Similarity Based Clustering of Time Series Data.” Lecture Notes in Computer Science, 9124, Springer, 2015 pp 257-267.
4. Hemant Kumar Aggarwal, Sonajharia Minz, “Change Detection Using Unsupervised Learning Algorithms for Delhi, India,” Asian Journal of Geoinformatics, Vol 13, No. 4, 12-15, 2013
5. Fuad Al-Yarimi, Sonajharia Minz, “Heirarchical Privacy Preserving Distributed Frequent Itemset Mining (HPPDFIM).” International Journal of Scientific Engineering Research Vol. 4. No.4 Arpil 2013
Recent Peer Reviewed Journals/Books
1. Kumar, Vinesh, Minz, Sonajharia, CCRA: channel criticality based resource allocation in cognitive radio networks. Int. J. Communication Systems, Online Wiley Library 2017, Vol.30, issue 4, 1-12
साभार -
1. गूगल
2. वाट़सएप