कुंड़ुंख टाइम्स डिजिटल मैगजिन Vol 07
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यहां पीडीएफ में नि:शुल्क पढ़ें कुंड़ुखटाइम्स मैगजिन का डिजिटल एडिशन Vol 10 .
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कुंड़ुंखटाइम्स की डिजिटल पत्रिका छप गई है। इस बार की पत्रिका में कई खास लेख शामिल हैं। आप इसे नि:शुल्क ऑनलाइन पढ़ सकते हैं। आप चाहें तो इसका पीडीएफ वर्जन भी यहां से डाउनलोड कर सकते हैं। नीचे..
कुंड़ुखटाइम्स त्रैमासिक पत्रिका का अंक 8 करम विशेषांक (जुलाई से सितम्बर 2023) नीचे पीडीएफ में ऑनलाइन पढ़ें या डाउनलोड करके रख लें। बिल्कुल नि:शुल्क..
यह लेख आदिवासी उरांव समाज का पारम्परिक सामाजिक पाठशाला धुमकुड़िया एवं किशोरियों का पेल्लो एड़पा में प्रवेश के विषय में शोध संकलन लेख है। इस शीर्षक लेख के माध्यम से पौराणिक आस्था विश्वास तथा आधुनिक जगत की अवधारणा के संदर्भ में समीक्षात्मक व्याख्यान पर चर्चा किया गया है। विशिष्ठ जानकारी के लिए पढ़ें एवं पी डी एफ को डाउनलोड कर सकते हैं।
भारतीय संसद द्वारा पारित पेसा कानून 1996 (PESA 1996) की धारा 4(d) के तहत, दिनांक 18 से 20 अगस्त 2023 तक, 36 गांव की परम्परागत ग्राम सभा (पद्दा सबहा) के प्रतिनिधि सदस्यों की ‘‘पद्दा पड़हा-पचोरा पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था न्याय पंच कार्यशाला’’ ट्राईबल कल्चर सेन्टर, सोनारी, जमशेदपुर में सम्पन्न हुई। इस ग्रामसभा पड़हा-पचोरा सामाजिक न्याय पंच कार्यशाला में उराँव समाज की रूढ़ीगत सामाजिक व्यवस्था को संरक्षित एवं संवर्द्धित करने हेतु 12 पड़हा, पहाड़ कंडिरिया, बेड़ो, राँची के पड़हा बेल श्री बिमल उराँव, 32 पड़हा-पचोरा लोहरदगा के बेल (राजा): श्री विजय उराँव एवं 03 पड़हा-पचोरा सिसई-भरनो, गुमला के कुहाबेल : श्री
यह फोटो, परम्परागत पड़हा ग्रामसभा बिसुसेंदरा सिसई-भरनो का 22 गांव के लोगों द्वारा, दिनांक 20-21 मई 2023 को सम्पन्न बैठक का है। यह बिसुसेंदरा बैठक वर्ष 2011से होता आ रहा है। बिगत कई वर्षों से लगातार कार्य करने के बाद समाज के लोगों द्वारा इस तरह का मार्गदर्शिका नियमावली का निर्धारण किया गया है। यह नियमावली उक्त सभी 22 गांव के लोगों के बीच अनुपालन हेतु प्रसारित किया गया है।
पुस्तिका पीडीएफ में नीचे देखें।
इस पुस्तिका का लेखन एवं प्रकाशन पंखराज साहेब बाबा कार्तिक उरांव द्वारा कराया गया था। इस पुस्तिका में कार्तिक बाबा द्वारा देश की आजादी के बाद, वर्ष 1950 से 1970 (लगभग 20 वर्ष) के मध्य जंगलों एवं पहाड़ों के बीच रह रहे परम्परागत आदिवासियों के बारे में भारत देश की जनता एवं सरकार के समक्ष, समाज की दुर्दशा तथा संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा के शिकार दबे-कुचले लोगों की आवाज को शिखर तक पहुंचाने तथा रौशनी दिखाने का कार्य किया गया है। प्रस्तुत स्वरूप, पंखराज साहेब बाबा कार्तिक उरांव के विचारों को जानने एवं समझने की इच्छा रखने वाले सगाजनों के लिये मूल पुस्तिका की छायाप्रति आप पाठको के लिए प्रस्तु
कुंड़ुख टाइम्स (वेब संस्करण) का अक्टूबर से दिसंबर 2022 / अंक 5 का यह संस्करण काफी पठनीय है। आप इसे यहां ऑनलाइन पढ़ सकते हैं। आप चाहें तो इसका पीडीएफ फाइल भी अपने लैपटॉप या पीसी अथवा मोबाइल पर डाउनलोड कर सकते।
‘‘सरना समाज और उसका अस्तित्व’’ नामक इस छोटी पुस्तिका में आदिवासी उराँव समाज की जीवन यात्रा का वृतांत है, जो भारत देश की आजादी के दो दशक बाद, उराँव लोग विषम परिस्थिति में अपने पुर्वजों की धरोहरों को सहेजते हुए देश की मुख्यधारा के साथ चलने का प्रयास कर रहे थे। देश की आजादी के बाद भी आदिवासी उराँव समाज का धार्मिक विश्वास एवं सामाजिक जागृति तथा आधुनिक शिक्षा जैसे विषयों पर निचले पायदान से उठने की कोशिश करते हुए आगे बढ़ रहे थे। इस छोटी सी पुस्तिका में 1965 से 1989 के बीच के सामाजिक परिस्थिति पर आधारित तथ्य-लेख का चित्रण है। संभव है, कई पाठक इसमें उद्धृत तर्कों से सहमत न हों, पर इसे विगत समय की स