दिनांक 18.0.2022 दिन मंगलवार को राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ द्वारा रांची विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में कुंड़ुख़ भाषा विषय के पठन-पाठन एवं विकास हेतु निम्नलिखित मांग की गई -
1. रांची विश्वविद्यालय, रांची में कुंड़ुख़ भाषा का स्वतंत्र पाठ्यक्रम तैयार किया जाए। पाठ्यक्रम समिति (सिलेबस बोर्ड) में 05 सदस्यों को रखा जाए, जिसमें 03 सदस्य पी.एच.डी. उपाधि प्राप्त वाले हों।
2. पीएचडी शोध प्रबंध, अपनी भाषा कुंडुंख (उरांव) भाषा में लिखा जाय।
3. पीएचडी शोध समिति (डीआरसी) में 4 (चार) वरीय प्राध्यापक, जो पीएचडी उपाधि प्राप्त हो, उन्हें रखा जाय।
4. कुंडुंख़ भाषा के साथ तोलोंग सिकी (लिपि) की पढ़ाई अनिवार्य रूप से किया जाय।
5. पाठ्यक्रम (सिलेबस) से वेद, पुराण, उपनिषद, जैन, बौद्ध आदि साहित्य को हटाया जाय।
6. डोरंडा कॉलेज रांची, एस.एस. मेमोरियल कॉलेज रांची, मारवाड़ी कॉलेज रांची, मांडर कॉलेज मांडर में कुंडुंख़ भाषा शिक्षकों की कमी को दूर किये जाने हेतु कुंडुंख़ भाषा (उरांव) के शिक्षक नियुक्त किये जांए।
7. घाघरा एवं लोहरदगा क्षेत्र के नये कॉलेज में पढ़ाई शुरुआत हो रही है, उन कॉलेजों में भी कुंड़ुख़ भाषा अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए।
ज्ञापन सौंपने में राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संगम उरांव, राष्ट्रीय सचिव श्री संदीप उरांव, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ सदस्य श्री कमल किशोर लकड़ा, श्री अमित मुंडाए रोहित खलखो, राष्ट्रीय प्रवक्ता सह कुंडुंख़ भाषा शोधार्थी श्री शिव शंकर उरांव, शोधार्थी सुश्री शीला मिंज, श्री विनोद टाना भगत, श्री रामदेव उरांव एवं कई छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।