मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 118वीं जयंती रविवार 03 जनवरी 2021 को मनायी गयी। जयपाल का जन्म 3 जनवरी, 1903 को खूंटी जिला के टकराहातू गांव में हुआ था 1970 में 20 मार्च को हुई थी। मरंग गोमके ने अपने जीवनकाल में 1939 से लेकर 1970 तक 19 उच्चतम पदों पर अपनी सेवाएं दीं। वे अखिल भारतीय आदिवासी महासभा में अध्यक्ष रहे। जयपाल सिंह मुंडा 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक गेम में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। हालांकि, उन दिनों भारतीय खिलाड़ियों साथ किये जाने वाले बर्ताव को लेकर ब्रिटिश प्रबंधन से तक़रार के बाद वह फ़ाइनल नहीं खेल पाये थे।
झारखंड पार्टी के अध्यक्ष, अबुआ सकम के संपादक, सिविलयन एडवाइजर इस्टर्न कमांड सर्विस सेलेक्शन बोर्ड, मेंबर बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन, चीफ बारडेन रांची एआरपी, ओनररी एसिस्टेंट टेबिनक्ल रिक्रूटिंग ऑफिसर, प्रेसिडेंट दिल्ली फ्तक्वईग क्लब, कॉमेंटेटर आनवर्ल्ड एंड पॉर्लियामेंटी अफेयर्स इन द एआईआर सर्विस, मेंबर इकॉनमी कमेटी जैसे विभागों और पदों पर रहे। इसके अलावा चेयरमैन ध्यानचंद हॉकी टूर्नामेंट, मेबर दिल्ली रोटरी क्लब, मेंबर रेलवे बोर्ड, मेंबर शिडयूल कास्टस, स्नेडयूत्त ट्राइब्स एंड अदर्स बैकवर्ड क्लाससेज स्कॉलरशिप कमेटी, मेंबर प्रेस कमिशन, मेंबर एस्टिमेट कमेटी, जेनरल सेक्रेटरी पार्लियामेंट स्पोर्ट्स क्लब के अलावा संविधान सभा के सदस्य व 1952 से 1970 तक सांसद रहे।
मरंग गोमके की पढ़ाई 1910 से 1919 तक रांची के संत पॉल्स स्कूल में हुई। उनकी कुशलता को देखते हुए तत्कालीन प्राचार्य रेव्ह कैनन कसग्रेवे ने उन्हें उच्चतम शिक्षा हासिल करने के लिए इंग्लैंड भेजा। जहां 1920 में संत आगस्टाइन कॉलेज में दाखिला मिला। 1922 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड से एमए किया। खेल के प्रति समर्पित होने के कारण 22 वर्ष की उम्र में उन्हें विम्बलडन हॉकी क्लब व ऑक्सफोर्ड शायर हॉकी एसोसिएशन का सदस्य बनाया गया। इसके बाद भारतीय छात्रों को मिलाकर उन्होंने हॉकी टीम बनाई। जहां 1923 से 1928 तक बेल्जियम, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी के विश्वविद्यालयों को अपनी अद्भुत खेल प्रतिभा का लोहा मनवाया। इसके बाद एम्सटरडैम ओलम्पिक में भारत को अपनी कप्तानी में विश्व विजेता बनाया।
खूंटी में उत्सव का माहौल रहा
खूंटी : झारखंड राज्य के स्वप्नद्रष्ट्रा, महान हॉकी खिलाड़ी, शिक्षाविद्, कुशल राजनेता और संविधान सभा के सदस्य रहे मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 117वीं जयंती शुक्रवार को उनके पैतृक गाव टकरा में शुक्रवार को मनाई गई। सुबह से ही टकरा गाव में उत्सव का माहौल था। आसपास के गांवों के सैकड़ों ग्रामीण टकरा गांव में अपने महान नेता रहे जयपाल सिंह मुंडा को श्रद्धाजलि अर्पित करने पहुंचे थे। पारंपरिक गीत और नृत्य की गूंज से माहौल और उत्सवपूर्ण लग रहा था। पर्यटन, खेलकूद, युवा मामले विभाग और जिला प्रशासन के सौजन्य से गाव में क्रिकेट और फटबॉल की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।