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तीन दिवसीय आदिवासी सरना युवा प्रशिक्षण शिविर सराजपुर, सुंदरगढ़, उड़ीसा में सम्‍पन्‍न

मान्दर के संबंध में कुड़ुख़ (उराँव) लोक गीत (मान्दर को कुड़ुख़ भाषा में ख़ेःल कहा जाता है)। इस शिविर में शामिल होने के लिए मैं 24 घंटे  में 605 किलोमीटर का दूरी तय करके  प्रशिक्षण शिविर स्थान पहूंचा । इसके लिए मैं झारखण्‍ड के गुमला जिला के  बिशनपुर थाना के सखुवा टोला गांव से 145 किलोमीटर की दूरी स्‍कूटी से तय करके  रांची पहूंचा । फिर  130 किलोमीटर की दूरी तय करके  रांची से टाटा पहूंचा। उसके बाद टाटा से झारसुगुड़ा  260 किलोमीटर की दूरी रेलगाड़ी से तय किया ।...

1.    ओःर -     ख़ेःल निंगहय ख़ोेटेरा जूड़ी,
            बेःचा बरओय का मला, रे।
            बेःचा बरओय का मला, रे। 
    फेःर -      बरा हूं बरओन, मला हूं बरओन
        ख़ेःर चींःख़ो बाःरी बरओन, रे।
        ख़ेःर चींःख़ो बाःरी बरओन।
    (भावार्थ हिन्दी - 1 ओःर - मान्दर तुम्हारा फूट गया है प्रियतम,
                               अखड़ा खेलने आओगे या नहीं ?
             फेःर -  आ भी सकता हूं, नहीं भी आ सकता,
                               पर आउंगा तो भोर होने के समय आउंगा।)

2.    ओर -    ख़ेःल ख़ेन्दा काःदय ददा
            उःख़ा माःख़ा नू काःदय, रे। 
            उःख़ा माःख़ा नू काःदय।
    फेःर -    मुुक्का ख़ेन्दा काःदय 
        चन्ददो बिल्ली नू काःदय, रे।
        टहटह बिल्ली नू काःदय।
    (भावार्थ हिन्दी - 2 ओःर - मान्दर खरीदने जाते हो भईया,
                      रात के अन्धेरे में जाते हो।
         फेःर - पत्नी लाने जाते हो भईया,
                      चान्दनी रौशनी में जाते हो।)

 3. ओर -     छोटे नू ख़ेःल खेन्दोय ददा,
             परदोय होले मुक्का खेन्दोय, रे।
            परदोय होले मुक्का खेन्दोय।
    फेःर -    मुक्का ख़ेन्दोय एरोय बेचोय 
    ख़ेःलन हेबेड़ोय चिओय, रे।
    ख़ेःलन हेबेड़ोय चिओय।
    (भावार्थ हिन्दी - 3 ओःर - छोटे समय में मान्दर खरीदो भाई,
                               बड़े होने पर पत्नी लाओगे।
                 फेःर - पत्नी के आने पर उसके साथ खेलोगे,
                               और मान्दर को किनारे कर दोगे।)
4.    ओःर - बेटा छउवा कान्दय बहीन, 
               माटी मान्देरा लगीन कान्दय, रे।
               माटी मान्देरा लगीन कान्दय, रे।
    फेःर - बेटी छउवा कान्दय बहीन, 
             सोना सिकड़ी लगीन कान्दय, रे।
              चांदी हंसली लगीन कान्दय, रे।
    (भावार्थ हिन्दी - 4 ओःर - लड़का बच्चा रोता है
                    मिटटी का मान्दर के लिए।
          फेःर - लड़की बच्ची रोती है,
                    सोना चादी के श्रृंगार के लिए।

5.    ओःर -     ख़ेःल निंगहय मला ख़रख़़ी, जूड़ी, 
               एंग्गा गे रिज्झ मला लग्गी।
    फेःर -    ख़ेःल निंगहय ख़रख़ो, जूड़ी, 
        मुक्क लिदिर लिदिर बेःचोन, रे।
        मुक्क लिदिर लिदिर बेःचोन, रे।
    (भावार्थ हिन्दी - 5 ओःर - मान्दर तुम्हारा नहीं बजता है प्रियतम,
                           तो मुझे आनन्द नहीं आता है।
             फेःर -  जब तुम्हारा मान्दर बजेगा, प्रियेतम, 
                       मैं घुटने के बल पर झूम-झूमकर नाचूंगी।)
6.    ओःर -    तोंय तो ददा मान्दर किनाले
            मोर लगीन बेरा लाइन देबे रे।
    फेःर -    तोर मान्दर फूटी गेला ददा,
        हमर बेरा रहियो गेला, रे।
    (भावार्थ हिन्दी - 6 ओःर - आप तो भईया अपने मान्दर खरीदोगे,
                           मेरे लिए हाथ का बेरा खरीद देना।
                     फेःर - आपका मान्दर फूट गया भईया,                        
                          पर मेरे पसंद का हाथ का बेरा मेरे पास है।

    संकलन एवं भाष्‍य - डा. नारायण उरांव 'सैन्‍दा'  

 तीन दिवसीय आदिवासी सरना युवा प्रशिक्षण शिविर सराजपुर, सुंदरगढ़, उड़ीसा में सम्‍पन्‍न

दिनांक  13,14 और 15 जून 2025 को तीन दिवसीय आदिवासी सरना युवा प्रशिक्षण शिविर स्थान - सराजपुर, सुंदरगढ़, उड़ीसा में सम्‍पन्‍न हुआ।
 इस शिविर में शामिल होने के लिए मैं 24 घंटे  में 605 किलोमीटर का दूरी तय करके  प्रशिक्षण शिविर स्थान पहूंचा । इसके लिए मैं झारखण्‍ड के गुमला जिला के  बिशनपुर थाना के सखुवा टोला गांव से 145 किलोमीटर की दूरी स्‍कूटी से तय करके  रांची पहूंचा । फिर  130 किलोमीटर की दूरी तय करके  रांची से टाटा पहूंचा। उसके बाद टाटा से झारसुगुड़ा  260 किलोमीटर की दूरी रेलगाड़ी से तय किया ।  उसके बाद झारसुगुड़ा से 40 किलोमीटर दूरी तय कर सुन्‍दरगढ़ पहूंचा। फिर सुन्‍दरगढ़ से 30 किलोमीटर कार में बैठकर सराजपुर तक पहुंचा ।  यह सफर 145 किलोमीटर स्कूटी से, फिर 130 किलोमीटर बस से, फिर 260 किलोमीटर ट्रेन से फिर 70 किलोमीटर कार से  तय कर 24 घंटा बिना सोये पूरा किया। यह शैक्षणिक भ्रमण मेरे लिए एक यादगार सफर  रहा। इस सफर के मुख्य प्रतिभागी डा0 नारायण उरांव थे जो टाटा से  शैक्षणिक भ्रमणआरंभ किए और मैं उनके साथ रहा।
 
 मेरे लिए इस  शैक्षणिक भ्रमण का मुख्य उद्देश्य  डॉ नारायण उरांव द्वारा तोलोंग सिकि(लिपि)पर ढाई घंटे का वर्कशॉप था । दूसरी मुख्य बातें थी आदिवासी उरांव समुदाय की युवा लीडरशिप प्रशिक्षण जिसमें 200 से अधिक बच्‍चे बच्चियां उरांव समुदाय से थीं और तीन दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल रहीं। इस शिविर मे शामिल होने के लिए  200 से 250 किलोमीटर दूर से तथा अलग-अलग सुदूर क्षेत्र से आए थे। झारखंड उड़ीसा छत्तीसगढ़ से आए सामाजिक  बुद्धिजीवी शिक्षित वर्ग द्वारा तीन दिन समय अनुसार धर्म संस्कृत,भाषा लिपि जीवन दर्शन, उच्च शिक्षा संबंधी तथा उरांव समुदाय में शादी विवाह परंपराएं प्रथाएं इत्यादि बिंदुओं पर कार्यशाला किया गया। इस कार्यशाला में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के धर्मगुरु श्री बंधन तिग्गा जी शामिल हुए थे।यह कार्यशाला मुख्य रूप से राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा उड़ीसा प्रदेश द्वारा आयोजित किया गया था।

 इस आयोजन को सफल बनाने में  श्री  सुशांत उरांव  शिक्षक और उड़ीसा प्रदेश के सामाजिक अगुवा श्री  मणिलाल केरकेटा इत्यादि समाजसेवी का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा।  इस कार्यशाला में शामिल होने के लिए कुड़ख़ भाषा विभग के शोधारथी  भुवनेश्वर उरांव जो  विरासस भारती विशुनपुर से यातरा आरंभ कर राउरकेला रहूंचे और राउरकेला से आगे का सफर में हमलोग एक से तीन भले बन गए । यह शैक्षणिक भ्रमण  का विषय एवं प्रशिक्षण शिविर उत्‍साह वर्धक  रहा और बिना सोये सुंदरगढ़ उड़ीसा राउरकेला से रांची पहुंचे गए। इस दौरान मेरी आंखें सो नही पायीं और बातें बनाते बनातें आखिर 09:30 बजे रात में रांची पहुंच गए। इस दौरान मेरी नींद को भी आंख के बाहर बैठकर सफर पूरा करने किया होगा।
रिपोर्टर '
शिवशंकर उरांव
रांची।
 

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