करम परब (2022) की शुभकानाएं!!
देश के जनजातीय / आदिवासी इलाकों में 06 सितंबर 2022 को 'करम परब' मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आप सबको ढ़ेर सारी बधाई और शुभकामनाएं !!!
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देश के जनजातीय / आदिवासी इलाकों में 06 सितंबर 2022 को 'करम परब' मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आप सबको ढ़ेर सारी बधाई और शुभकामनाएं !!!
दिनांक 06.11.2021 दिन शनिवार को धुमकुड़िया सोहरई जतरा‚ थाना सिसई जिला गुमला के सैन्दा के ‘पड़हा पिण्डा’ स्थल पर सम्पन्न हुआ। यह आयोजन परम्परागत ‘सोहरई टहड़ी मण्डी’ के अवसर पर कुड़ुख़ भाषायी विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ गांव समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है। विदित है कि परम्परागत कुंड़ुख़ समाज में पड़हा‚ धुमकुडिया‚ अखड़ा आदि उनकी अपनी पुस्तैनी धरोहर है। जिसे समझने तथा समझाने के उदेश्य से यह आयोजन छात्र-छात्राओं एवं गांव समाज के लोगों के साथ वर्तमान समय के अनुकूल वर्ष 2012 से ही मनाया जा रहा है।
सरना यूथ वेलफेयर ग्रूप और आदर्श आदिवासी विकास सरना समिति के संयुक्त तत्वावधान में बीर बुधु भगत आदिवासी हॉस्टेल, हातमा में 'धुमकुड़िया-2020' का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हर वर्ष इन संस्थाओं द्वारा आयोजित किया जाता है।
दिनांक 18.0.2022 दिन मंगलवार को राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ द्वारा रांची विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में कुंड़ुख़ भाषा विषय के पठन-पाठन एवं विकास हेतु निम्नलिखित मांग की गई -
1. रांची विश्वविद्यालय, रांची में कुंड़ुख़ भाषा का स्वतंत्र पाठ्यक्रम तैयार किया जाए। पाठ्यक्रम समिति (सिलेबस बोर्ड) में 05 सदस्यों को रखा जाए, जिसमें 03 सदस्य पी.एच.डी. उपाधि प्राप्त वाले हों।
2. पीएचडी शोध प्रबंध, अपनी भाषा कुंडुंख (उरांव) भाषा में लिखा जाय।
3. पीएचडी शोध समिति (डीआरसी) में 4 (चार) वरीय प्राध्यापक, जो पीएचडी उपाधि प्राप्त हो, उन्हें रखा जाय।
दिनांक 30 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार को कुँडुख़ भाषा एवं सांस्कृतिक पुनरूत्थान केन्द्र्‚ बम्हनी, गुमला का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ रामेश्वर उरांव (माननीय मंत्री वित्त‚ योजना एवं विकास‚ वाणिज्य कर‚ खाद्य सार्वजिनक वितरण और उपभोक्ता मामले‚ झारखंड सरकार)‚ विशिष्ट अतिथि श्री सुदर्शन भगत (माननीय सांसद लोहरदगा लोकसभा) तथा गुमला जिला के उपायुक्तय श्री सुधीर कुमार श्रीवास्तव एवं डॉ एहतेशाम वकारब (पुलिस अधीक्षक गुमला) उपस्थित थे। कार्यक्रम में अतिथियों को पहाड़ पनारी टांगर टोली एवं टोटो हाई स्कूल‚ गुमला के बच्चियों द्वारा पईरछन करते हु ए उद्घाटन स्थयल तक लाय
गुमला जिला सिसई प्रखंड ग्राम पहान कामता में ‘राजी पड़हा भारत’ के राजी देवान श्रीमान फौदा उरांव की अध्यक्षता में दिनांक 12 अक्टुवर 2021, दिन मंगलवार को कामता स्कूल मैदान में बैठक किया गया। इस बैठक में मुख्य अतिथी राजी बेल श्रीमान बागी लकड़ा राजी पड़हा, भारत के बीच झारखंड राज्यर कमिटी का पुनर्गठन किया गया जिसका नाम पादा पड़हा‚ झारखण्डम है। इस कमिटी का पुनर्गठन‚ पड़हा संबिधान के नियमानुसार मनोनित किया गया। कमिटि में निम्नलिखित व्यिक्तियों को मनोनित किया गया तथा सामाजिक कार्यों की जिम्मे दारी दी गई –
अलग झारखंड राज्य आंदोलन को बौद्धिक मोर्चे पर दिशा देनेवाले डॉ निर्मल मिंज नहीं रहे। अलग राज्य आंदोलन में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। डॉ मिंज गोस्सनर चर्च के बिशप रहे हैं। डॉ निर्मल मिंज को साहित्य अकादमी का भाषा सम्मान से नवाजा जा चुका है। कुड़ुख भाषा में लेखन और उसके लिए व्यापक काम के लिए डॉ निर्मल मिंज को यह सम्मान दिया गया है.
मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 118वीं जयंती रविवार 03 जनवरी 2021 को मनायी गयी। जयपाल का जन्म 3 जनवरी, 1903 को खूंटी जिला के टकराहातू गांव में हुआ था 1970 में 20 मार्च को हुई थी। मरंग गोमके ने अपने जीवनकाल में 1939 से लेकर 1970 तक 19 उच्चतम पदों पर अपनी सेवाएं दीं। वे अखिल भारतीय आदिवासी महासभा में अध्यक्ष रहे। जयपाल सिंह मुंडा 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक गेम में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे। हालांकि, उन दिनों भारतीय खिलाड़ियों साथ किये जाने वाले बर्ताव को लेकर ब्रिटिश प्रबंधन से तक़रार के बाद वह फ़ाइनल नहीं खेल पाये थे।
रांची : झारखंड के गढ़वा जिला अंतर्गत रंका के सिंजो गांव निवासी पैंतीस वर्षीय हीरामन कोरवा ने आदिवासी भाषा कोरवा की डिक्शनरी तैयार की है।
डॉ रामदयाल मुण्डा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, झारखंड़ सरकार एवं कुंड़ुख भाषा, संस्कृति, परंपरा, लिपि के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए समर्पित संस्था अद्दी कुंड़ुख चाःला धुमकुड़िया, पड़हा अखड़ा (अद्दी अखड़ा) रांची के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020 को डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सत्यनारायण मुण्डा के मुख्य आतिथ्य में संस्थान के सभागार में एक लोकार्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ। कुंड़ुख भाषा के लिए तोलोंग लिपि के आविष्कारक डॉ नारायण उराँव सैन्दा ने लिपि के विकास से जुड़ी विकास यात्रा की संक्षिप्त जानकारी दी और बताया कि तोलोंग सिकी के विकास में डॉ रामदयाल मुण्डा एव