दिनांक 06.11.2021 दिन शनिवार को धुमकुड़िया सोहरई जतरा‚ थाना सिसई जिला गुमला के सैन्दा के ‘पड़हा पिण्डा’ स्थल पर सम्पन्न हुआ। यह आयोजन परम्परागत ‘सोहरई टहड़ी मण्डी’ के अवसर पर कुड़ुख़ भाषायी विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ गांव समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है। विदित है कि परम्परागत कुंड़ुख़ समाज में पड़हा‚ धुमकुडिया‚ अखड़ा आदि उनकी अपनी पुस्तैनी धरोहर है। जिसे समझने तथा समझाने के उदेश्य से यह आयोजन छात्र-छात्राओं एवं गांव समाज के लोगों के साथ वर्तमान समय के अनुकूल वर्ष 2012 से ही मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर वीर बुधूभगत कुंड़ुख़ लूरकुड़िया‚ सैन्दा‚ श्री बिरेन्द्र उरांव की अगुवाई में तथा कार्तिक उरांव आदिवासी कुंड़ुख़ विद्यालय‚ मंगलो‚ श्री अरबिन्द उरांव की अगुवाई में एवं कई परम्पारिक धुमकुड़िया के छात्रगण शामिल थे। इस आयोजन में अद्दी कुंड़ुख़ चाला धुमकुडिया पड़हा अखड़ा‚ रांची नामक संस्था की दिशा–निर्देश पर धुमकुड़िया संचालन किया जा रहा है। जहां केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के त्रिभाषा भाषा नीति के आधार पर कुंड़ुख़ एवं हिन्दी-अंगरेजी भाषा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर बल दिया जा रहा है।
इस धुमकुड़िया सोहरई जतरा में मुख्य रूप से धुमकुड़िया सोहरई जतरा सहयोग समिति के संयोजक श्री मटकु उरांव‚ श्री गजेन्द्र उरांव. श्री पाथो पहान‚ सिसई प्रखण्ड के प्रमुख श्री देवेन्द्र उरांव‚ अद्दी कुंड़ुख़ चाला धुमकुडिया पड़हा अखड़ा (अद्दी अखड़ा)‚ रांची के सचिव श्री राजेन्द्र भगत तथा कुंड़ुख़ तोलोंग सिकि के लिपि के संस्थापक डॉ. नारायण उरांव एवं 9 पड़हा करकरी और 7 पड़हा चैगरी के पहान‚ पुजार‚ महतो सहित गांव के अनेकानेक महिला-पुरूष उपस्थित हुए। इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते लोगों की उपस्थिति कम रही।
संकलन -
मटकु उरांव
संयोजक‚
धुमकुड़िया सोहरई जतरा
सहयोग समिति‚ सैन्दा‚ सिसई‚ गुमला।
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