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आलेख / Articles

कुँड़ुख पेंटिंग को नवजीवन देती - कलाकार सुमन्ती उराँव

यूँ कलाकार और कला की कोई सीमा नहीं। लेकिन जब कोई कलाकार लगभग लुप्त हो गई किसी कला को पुनर्जीवित कर देता कलाकार समाज और कला जगत के लिए विशिष्ट हो जाता है। ऐसी ही एक कलाकार है सुमन्ती देव भगत, जो भोपाल में रहती हैं। सुमन्ती ने अपनी वेश-भूषा तक को उराँव संस्कृति के अनुकूल इस तरह ढाल लिया है कि आप दूर से देखकर बता सकते हैं कि वह कोई उराँव युवती ही हो सकती है। पढ़िया की मोटी सफेद, लाल पाड़ की साड़ी पहने, उराँव विधि से खोपा बनाए और उस पर बगुले के पंखों बनी टइंया को खोसे हुए। गले पर चमकता खंभिया और कानों पर लम्बे वीडियो। ऐसी कुँड़ुख बेश-भूषा में अब तो शायद ही कोई दिखता है। इतना तक कि गाँवों में भी

भाषा, मानव विकास के लिए अनमोल रत्न   

ईशा से हजारों सालों पूर्व में भी मानव सभ्यता थी और र्इसा के बाद 2018 र्इ के बीत जाने के बाद भी मानव समुदाय और समाज का विकास के बीच एक अत्यन्त ही गम्भीर और ज्वलंत भय सा बना हुआ है। पूरी दुनियाँ विकास की बात से जुड़ी हुर्इ हैं। कर्इ देा विकसित हो गए है और अनेकों देा विकास के लिए प्रयत्नाील है।

आदिवासी जीवन-दर्शन और कुड़ुख़ भाषा की तोलोंग लिपि

झारखण्ड अलग प्रांत आन्दोलन के दौरान हम छात्र नेताओं के जेहन में हमेाा ही एक प्रन उठता था - क्या, नये राज्य में हम अपनी भाशा-संस्कृति को सुरक्षित रख पाएंगे ? इसके लिए क्या-क्या कदम उठाने होंगे ?

कुंड़ुख भाषा - तोलोंग सिकि लिपि पर राष्‍ट्रीय सेमिनार का दूसरा दिन

दिनांक 02 एवं 03 अक्टुवर 2024 को कुड़ुख़ भाषा की दशा एवं दिशा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार, कुड़ुख़ भाषा एवं सांस्कृतिक पुनरूत्थान केन्द, बम्हनी  गुमला में सम्पन्न हुआ। इस सेमिनार में दिनांक 03 अक्टुवर 2024  किये गये  प्रस्तुति में से कुड़ख़ भाषा तोलोंग सिकि और उरांव समाज की भूमिका विषय किए गए प्रस्तुति का पीडीएफ आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है -

राष्‍ट्रीय सेमिनार

भाषाई विरासत का अनावरण: मराठी, गुजराती, मारवाड़ी और सिंधी पर द्रविड़ प्रभाव

हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद, आक्रमणकारी आर्यों ने 16 आर्य राज्यों की स्थापना की, जैसा कि दूसरी छवि में दर्शाया गया है। किंवदंती है कि राम के सौतेले भाई भरत ने तक्षशिला शहर की स्थापना करके गांधार साम्राज्य तक अपना प्रभाव बढ़ाया। यह क्षेत्र, गांधार, भरत की माता कैकेयी के पैतृक क्षेत्र केकेय साम्राज्य के निकट था। इस बीच, राम के भाई लक्ष्मण को गंगा के किनारे लक्ष्मणपुरा की स्थापना का श्रेय दिया जाता है, जिसे अब लखनऊ के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कथित तौर पर वंगा साम्राज्य (बंगाल) को उपनिवेश बनाया, और वहां चंद्रकांता शहर की स्थापना की। कहा जाता है कि राम के सबसे छोटे भाई शत्रु

आज के समय में इंसान इंटरनेट में कैद है और प्राकृति से दूर है

लेकिन अगर आपको समय मिले तो phytoncides प्रोसेस के बारे में गूगल करिएगा। आपको पता चलेगा कि जंगलों की ओर जाने से और वहां सांस लेने से आप अपना इम्यून सिस्टम बेहतर कर सकते हैं।

पूरा जंगल एक दूसरे की मदद करता रहता है। इस पूरे कांसेप्ट को Ubuntu कहते हैं। हम खुद को समझदार मानते हैं। लेकिन हमें ये कांसेप्ट बहुत कुछ सिखा सकता है। इसलिए दूसरों की मदद करते रहें और आगे बढ़ते रहें।

धुमकुडि़या : आदिवासी समाज की आरंभिक सामाजिक पाठशाला (भाग 3/3)

इस विशेष अंक का भाग-3 नीचे ऑनलाइन पढ़ें नि: शुल्‍क.. 
आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं.. 

धुमकुडि़या भाग-2 https://kurukhtimes.com/node/380 
धुमकुडि़या भाग-1 https://kurukhtimes.com/node/379

धुमकुडि़या : आदिवासी समाज की आरंभिक सामाजिक पाठशाला (भाग 2/3)

इस विशेष अंक का भाग -2 नीचे ऑनलाइन पढ़ें नि: शुल्‍क.. 
आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं.. 

धुमकुडि़या भाग-3 https://kurukhtimes.com/node/381

धुमकुडि़या भाग-1 https://kurukhtimes.com/node/379

धुमकुडि़या : आदिवासी समाज की आरंभिक सामाजिक पाठशाला (भाग1/3)

इस विशेष अंक का भाग एक नीचे ऑनलाइन पढ़ें नि: शुल्‍क.. 
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धुमकुडि़या भाग-2 https://kurukhtimes.com/node/380
धुमकुडि़या भाग-3 https://kurukhtimes.com/node/381

परम्‍परागत ग्रामसभा पड़हा बेलपंच्‍चा सामाजिक न्‍याय पंच - Digital

परम्‍परागत ग्रामसभा पड़हा बेलपंच्‍चा सामाजिक न्‍याय पंच पर विशेष कवरेज। इस विशेष अंक को यहां नीचे पीडीएफ में पढ़ सकते हैं। आप चाहें तो इसे यहीं से डाउनलोड भी कर सकते हैं।