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आशा आदिवासी विद्यालय बलसोता सरना टोली में आज का क्लास

यह विडियो दिनांक 13.07.2024 दिन शनिवार को आशा आदिवासी विद्यालय, बलसोता, भंडरा (लोहरदगा) का है। इस विद्यालय में तीन भाषा विषय हिन्दी, अंगरेजी और कुंड़ख़ क्रमवार देवनागरी, रोमन एवं तोलोंग सिकि लिपि में पढ़ाई होती है। यह विद्यालय 8वीं कक्षा तक संचालित है तथा यह आवासीय विद्यालय है। विडियो यहां के स्कूल के कक्षा का है। कक्षा का अनुशासन और सांस्कृतिक विरासत को सम्हालकर आगे ले जाने की जिम्मेदारी का झलक है। कक्षा में बच्चों द्वारा आसारी मौसमी राग एवं गीत, मूंह खोलकर गाया जाना,, सचमुच प्रशंसनीय हैं। आइये बच्चों का आसारी गीत का आनन्द लें --

ग्रामीण मौसम भविष्‍य-वक्‍ता का पूर्वानुमान 2024

विगत 10 साल से ग्रामीण इलाकों में प्रक़ति की वस्‍तुओं को देखकर मौसम पूर्वानुमान करने वाले 65 वर्षीय श्री गजेन्‍द्र उरांव ने साल 2024 का  मौसम पूर्वानुमान बतलाया है। उन्‍होंने कहा कि इस साल 2024 में बरखा तीनों पाली में होगा । इससे फसल अच्‍छी होगी।  ग्रामीण मौसम पूर्वानुमान कर्ता द्वारा बरखा को तीन भाग में विभक्‍त किया गया है - 1. बुढ़िया करम अर्थात जेठ शुक्‍ल पक्ष का पहला मंगर से हरियनी पूजा तक अर्थात आषाढ़ शुक्‍ल पक्ष तृतीया तक  2. हरयनी पूजा से राजी करम अर्थात भादो एकादशी तक  3.

सियांग और सैन्दा गांव में धुमकुड़िया सवंगिया विदाई कार्यक्रम सम्पन्न

दिनांक 12 मई 2024,  दिन रविवार को,  झारखंड के गुमला जिला के अन्तर्गत,  सिसई थाना क्षेत्र के सियांग एवं सैन्दा गांव में धुमकुड़िया सवंगिया विदाई कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। ग्राम सियांग की सयनी फगनी उरांव, पिता श्री जयमंगल उरांव, बीए Kurukh आनर्स तक की पढ़ाई पूरी की और उनके माता पिता इस वर्ष शादी करने वाले हैं, का धुमकुड़िया सवंगिया विदाई कार्यक्रम, धुमकुड़िया के संगी साथी लोगों द्वारा पारम्परिक तरीके से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसी तरह ग्राम सैन्दा के सय बोलवा उरांव, पिता श्री मुंशी उरांव, आईए करके पिता के साथ खेतीबारी के कार्य में जुड़े हैं तथा सय अच्युत उरांव, पिता डॉक्‍टर नारायण उरांव, ब

धुमकुड़िया शंकोसाई (मानगो) का निरीक्षण कार्यक्रम

यह विडियो धुमकुड़िया शंकोसाई, रोड नं 5, मानगो, जमशेदपुर का है।  यहां सप्ताह में तीन दिन अपनी मातृभाषा कुंड़ुख़ में तोलोंग सिकि के साथ पढ़ाई लिखाई होती है। यह टाटा स्टील फाउण्डेशन जमशेदपुर एवं अद्दी अखड़ा रांची के संयुक्त तत्वाधान में में तकनीकी मदद किया जाता है। इस धुमकुड़िया भाषा शिक्षण केन्द्र में केन्द्र शिक्षिका सुश्री अरुणा लकड़ा हैं तथा केन्द्र संयोजक सुश्री गीता कोया जी हैं। इस का निरीक्षण, तोलोंग सिकि के संस्थापक तथा अद्दी अखड़ा रांची के संयोजक डॉ नारायण उरांव द्वारा दिनांक 12 जनवरी 2024 दिन शुक्रवार को संध्या 6.00 बजे किया गया। यहां मानगो जमशेदपुर जैसे लौह नगरी क्षेत्र में कुंड़ुख़

कुल्‍ली (बेड़ो, रांची) धुमकुडि़या में नृत्‍य-संगीत

यह विडियो धुमकुड़िया,  कुल्ली, बेड़ो, रांची का है। इस धुमकुड़िया में उरांव समाज का गीत संगीत, नाच गान के साथ कुंड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि की पढ़ाई लिखाई होती है। इस भाषा लिपि पढ़ाई लिखाई योजना को टाटा स्टील फाउण्डेशन जमशेदपुर एवं अद्दी अखड़ा रांची के संयुक्त क्रियान्वयन में तकनीकी मदद किया जाता है। इस धुमकुड़िया कुल्ली सेन्टर की शिक्षिका सुश्री रजनी उरांव है। यहां के बच्चों का शिक्षण कार्यक्रम प्रसंशनीय है। आइए विडियो देखें -

'एजेरना बेड़ा' (सिंहभूम) में तोलोंग सिकि प्रशिक्षण कार्यक्रम का संगीतमय कार्यक्रम

यह विडियो दिनांक 19 सितम्बर 2023 दिन मंगलवार को सूट किया गया है। यह टाटा स्टील फाउंडेशन जमशेदपुर के सहयोग से संचालित तथा उरांव सरना समिति, चक्रधरपुर, पश्चिम सिंहभूम के माध्यम से 'एजेरना बेड़ा' कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 16 सितम्बर से 19 सितम्बर 2023 तक सम्पन्न कुंड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन कार्यक्रम का है। यह प्रशिक्षण कार्यशाला ट्राईबल कल्चर सेन्टर, सोनाली, जमशेदपुर में सम्पन्न हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में 25 कुंड़ुख़ भाषा एवं तोलोंग सिकि शिक्षण केन्द्र के शिक्षक एवं 05 संयोजक तथा परम्परागत उरांव वाद्य यंत्र प्रशिक्षण केन्द्र के 03 शिक्षक उपस्थित थे। कार्यशाला

सिसई/गुमला/झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त 2023) आयोजन

यह विडियो दिनांक 9 अगस्त 2023 को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कार्तिक उरांव आदिवासी कुंड़ुख़ विद्यालय मंगलो सिसई गुमला शूट किया गया विडियो है । इस विद्यालय में कुंड़ुख़ भाषा की पढ़ाई कुंड़ुख़ की अपनी लिपि तोलोंग सिकि में होती है। इस विद्यालय में पारम्परिक गीत, मौसमी राग में सिखलाया जाता है। यह विडियो रोवा अर्थात रोपनी राग में गाया जा रहा है। 10 दिनों के बाद ही करमा राग तथा नृत्य का समय पहूंचेगा। प्रस्तुत है रोवा राग में यह पारम्परिक उरांव लोकगीत एवं नृत्य।