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दस्‍तावेज / Records / Plans / Survey

The Historical Significance of Rohtasgarh and Oraons admin Sat, 01/18/2025 - 09:13

Rohtasgarh is a historical place of significant value for the Oraon tribe. The Oraon, or Kurukh, are one of the largest tribal groups in Eastern India. There is some geographical situation in this mountain towards Son River where several descending roots descend down from up. These roots called as Ruih in Kurukh/Oraon language. So the mountain become famous as Ruih Parta and residents of this mountain called as Ruih Parta Ta. Gradually Ruih Parta Ta/tas become Ruihtas in there Kurukh language and King or Kabila Head become popularly named as Ruihta Be:las.

ताेलाेंङ सिकि कुंड़ुख़ व्याकरण संबंधी आवश्यक जानकारी

देवनागरी लिपि से कुंड़ुख भाषा की सभी ध्वनियों को ज्यों का त्‍यों लिखने में कठिनाई होती है । अतः देवनागरी लिपि के मूल सिद्धांत ‘एक ध्वनि एक संकेत’ के अनुसार तथा पुनरूक्ति दोष से बचने हेतु प्रचलित ध्वनि चिह्न के नीचे या उपर भाषा विज्ञान एवं तकनीकि सम्मत, पूरक चिह्न देकर पढ़ने एव लिखने के तरीके को तोलोंग सिकि में अपनाया गया है, जिस प्रकार कि उर्दू भाषा के ध्वनियों को दिखलाने के लिए देवनागरी अक्षर के नीचे बिन्दु देने की मान्यता है । जैसे - क़, ख़, ग़, ब़, फ़, ज़, व़ आदि । कुँड़ुख़ भाषा की ध्वनियों के लिए पूरक चिह्न का प्रयोग इस प्रकार किया गया है:- .. 

परंपरागत ग्रामसभा पड़हा बिसुसेन्‍दरा गुमला मंडल के सम्‍मेलन के अनुसार दिशा निर्देश

भारतीय संसद द्वारा पारित पेसा कानून 1996 की धारा 4(d) के तहत दिनांक 18 एवं 19 मई 2024 को 22 गांवों के सदस्‍यों द्वारा 'परम्‍परागत ग्रामसभा पड़हा बिसुसेन्‍दरा, गुमला मण्‍डल' का दो दिवसीय सम्‍मेलन पड़हा पिण्‍डा ग्राम सैन्‍दा, थाना सिसई जिला गुमला (झारखंड) में संपन्‍न हुआ और सम्‍मेलन की उपलब्धि को आम लोगों के अनुपालन हेतु स्‍वीकृत,अनुमोदित एवं प्रकाशित किया जा रहा है। नीचे पीडीएफ में पढ़े अथवा डाउनलोड करके सुरक्षित रख लें : 

झारखण्ड के गुमला शहर के नामकरण की अवधारणा

पुरखर बाःचका रअ़नर - कुद्दोय ना बेद्दोय, ओक्कोय ना ख़क्खोय अर्थात घुमोगे (ढूँढ़ोगे) तो खोजोगे (पाओगे), बैठोगे यानी संगत में बैठोगे तो ज्ञान हासिल करोगे।

तोलोंग सिकि कुंड़ुख साहित्‍यमाला (दोनों भाग)

तोलोंग सिकि कुंड़ुख़ कत्थपुन नामक यह पुस्तक वर्ष 1989 से 2022 तक का कुंड़ुख़ (उरांव) भाषा एवं तोलोंग सिकि लिपि विकास का इतिहास है। इस पुस्तक का प्रकाशन टाटा स्टील फाउंडेशन, जमशेदपुर के तकनीकी सहयोग से अद्दी कुंड़ुख़ चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची द्वारा किया गया है। यह मूल पुस्तक का पीडीएफ वर्ज़न है। इस पुस्तक में उद्धृत तथ्यों की जानकारी हेतु नीचे पीडीएफ देखें।

यह साहित्‍यमाला दो हिस्‍सों में है। पीडीएफ में पहला हिस्‍सा पेज 1 से 157 तक और शेष दूसरा हिस्‍सा पेज 158 से शुरू होगा। आप चाहें तो इस पीडीएफ को डाउनलोड भी कर सकते हैं। 

कुंड़ुखटाइम्‍स मैगजिन का 06 अंक प्रकाशित हुआ..

Kurukh Times बहुभाषीय पत्रिका का छठा अंक प्रकाशित हो चुका है। अपनी खास साज-सज्‍जा और समृद्ध लेखों से परिपूर्ण यह पत्रिका पठनीय है। आप इसे यहीं ऑनलाइन पढ़ सकते हैं अथवा चाहें तो, नि:शुल्‍क डाउनलोड भी कर सकते हैं। नीचे पीडीएफ वर्जन उपलब्‍ध है। पढ़ें अथवा डाउनलोड कर लें। 

धुमकुडि़या : पारम्परिक सामाजिक, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास केन्द्र

धुमकुड़िया, उराँव आदिवासी समाज की एक पारम्परिक सामाजिक, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास केन्द्र है। प्राचीन काल से ही यह, गाँव में एक व्यक्तित्व एवं कौशल विकास शिक्षण-शाला के रूप में हुआ करता था, जो गाँव के लोगों द्वारा ही चलाया जाता था। समय के साथ यह पारम्परिक सामाजिक, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास केन्द्र विलुप्त होने की स्थिति में है। कुछ दशक पूर्व तक यह संस्था किसी-किसी गाँव में दिखलाई पड़ता था किन्तु वर्तमान शिक्षा पद्धति के प्रचार-प्रसार के बाद यह इतिहास के पन्ने में सिमट चुका है। कुछ लेखकों ने इसे युवागृह कहकर यौन-शोषन स्थल के रूप में पेश किया, तो कई मानवशास्त्री इसे असामयिक कहे, किन्तु अधिकतर च

'चिंचों डण्डी अरा ख़ीःरी' पुस्तक, कुँड़ुख़ (उराँव) भाषा में प्रकाशित

चिंचों डण्डी अरा ख़ीःरी नामक यह पुस्तक, कुँड़ुख़ (उराँव) भाषा में प्रकाशित पुस्तक है। चिंचों डण्डी अरा ख़ीःरी का शाब्दिक अर्थ बाल कविता एवं कहानी है। यह पुस्तक, कुँड़ुख़ (उराँव) भाषा की लिपि, तोलोंग सिकि एवं देवनागरी लिपि में प्रस्तुत है। इस लिपि का शोध-संकलन एवं अनुसंधान, एक एम.बी.बी.एस. चिकित्‍सक डॉ. नारायण उराँव ‘सैन्दा’ द्वारा किया गया है तथा इस लिपि का कम्प्यूटर वर्जन, केलितोलोंग फोण्ट के नाम से श्री किसलय जी के द्वारा विकसित किया गया है। वर्तमान में कुँड़ुख़ (उराँव) भाषा एवं तोलोंग सिकि को झारखण्ड सरकार में 2003 ई.

कुंड़ुख टाइम्‍स त्रैमासिक पत्रिका का चतुर्थ (4th)अंक प्रकाशित हुआ

कुंड़ुख टाइम्‍स त्रैमासिक पत्रिका का चतुर्थ (4th)अंक प्रकाशित हो गया है। यह अंक 'बिसुसेन्‍दरा विशेषांक' है। यह अंक Tata Steel Foundation के 'ट्राइबल कल्‍चरल सोसायटी' के सहयोग से तैयार किया गया है। इस अंक में आप पढ़ेंगे तोलोंग सिकि के आधार के बारे में। साथ ही इसके वर्णमाला के बारे में। चर्चा होगी पड़हा के परंपरागत ग्रामसभा पर भी। साथ ही कई अन्‍य विशिष्‍ट आलेख। इसे आप यहां पीडीएफ में ऑनलाइन पढ़ सकते हैं। साथ ही, आप चाहें तो इस का पीडीएफ वर्जन डानलोड भी कर सकते हैं।