देवनागरी लिपि से कुंड़ुख भाषा की सभी ध्वनियों को ज्यों का त्यों लिखने में कठिनाई होती है । अतः देवनागरी लिपि के मूल सिद्धांत ‘एक ध्वनि एक संकेत’ के अनुसार तथा पुनरूक्ति दोष से बचने हेतु प्रचलित ध्वनि चिह्न के नीचे या उपर भाषा विज्ञान एवं तकनीकि सम्मत, पूरक चिह्न देकर पढ़ने एव लिखने के तरीके को तोलोंग सिकि में अपनाया गया है, जिस प्रकार कि उर्दू भाषा के ध्वनियों को दिखलाने के लिए देवनागरी अक्षर के नीचे बिन्दु देने की मान्यता है । जैसे - क़, ख़, ग़, ब़, फ़, ज़, व़ आदि । कुँड़ुख़ भाषा की ध्वनियों के लिए पूरक चिह्न का प्रयोग इस प्रकार किया गया है:- ..
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