झारखंड अलग प्रांत के प्रणेता और आदिवासी व मूलवासी समाज के गुरूजी अर्थात शिबु सोरेन का स्वर्गवास हो गया है। यूं तो अलग झारखंड की मांग पिछले लम्बे अरसे से चलती रही है लेकिन इस आंदोलन को जमीनी अधिकार का तेवर दिया था शिबु सोरेन ने। झारखंड ही क्यों पूरे देश का आदिवासी व बंचित समाज गुरूजी का कर्जदार है और रहेगा। 81 वर्षीय शिबु सोरेन पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे। सर गंगाराम अस्पताल (दिल्ली) में उनका इलाज चल रहा था। गुरूजी अपने पीछे दो पुत्र हेमन्त सोरेन और बसंत सोरेन और भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। गुरूजी की राह पर चल रहे हेमन्त सोरेन अभी राज्य के मुख्यमंत्री हैं। 04 अगस्त 2025 को गुरूजी का पार्थिव शरीर रांची लाया गया और 05 जुलाई को उनके जन्मस्थली नेमरा में अंतिम संस्कार हो रहा है। शिबु सोरेन उर्फ गुरूजी की अनुपस्थिति केवल उनके परिजनों को ही नहीं झारखंड सहित कई प्रदेशो के लोगों को शोकाकुल कर गयी है। उनकी मृत्यु की खबर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 04 अगस्त को अस्पताल जाकर उनको श्रद्धांजलि दी। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी वहां पहुंच चुकी थीं। रांची में भी जनता ने उनके आवास पर जाकर श्रद्धांजलि दी। उसके बाद उनका पार्थिव शरीर झारखंड विधान सभा परिसर में रखा गया जहां से नेमरा के लिये बिदाई हुई। कुंड़ुख टाइम्स डॉट कॉम की ओर गुरूजी को नम आंखों से दिली श्रद्धांजलि..!
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