KurukhTimes.com

कुडुख तोलोंग सिकि का विकास और झारखण्ड अधिविद्य परिषद, रांची का मार्ग दर्शन

वर्ष 2008 में झारखण्ड अधिविद्य परिषद, रांची के कार्यालय में एक आवेदन समर्पित हुआ। उस
आवेदन में मांग किया गया था कि - हमारे स्कूल के विद्यार्थी कुड़ख़ भाषा विषय की पढ़ाई
कुडुख़ की लिपि, तोलोंग सिकि में किये हैं, इसलिए इन्हें अपनी भाषा की लिपि में परीक्षा लिखने
की अनुमति प्रदान की जाए। वह आवेदन, कुड़ख़ कत्थ खोड़हा लूरएड़पा भगीटोली, डुमरी,
गुमला के गैरसरकारी स्कूल के विद्याथियों के लिए था और विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा आवेदन
समर्पित किया गया था। इस आवेदन के आलोक में झारखण्ड अधिविद्य परिषद, रांची के
ततकालीन अध्यक्ष डॉ0 शालीग्राम यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह कहा गया कि - जब
तक कुडुख़ भाषा की लिपि, तोलोंग सिकि में पाठ्यपुस्तक प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तब तक
नई लिपि में परीक्षा लिखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस प्रश्न के उत्तर में समाज
द्वारा कक्षा 10 वीं का पाठ्यपुस्तक, ख़ददी चन्ददो तथा चींचो डण्डी अरा ख़ीरी पुस्तक का
तोलोंग सिकि में लियन्तरण किया गया और माह जनवरी 2009 में परिषद को सुपुर्द किया गया।
ज्ञात हो कि विभागीय कसमकस और सामाजिक भागदौड़ के बीच आखिरकार 20 फरवरी 2009
को तोलोंग सिकि लिपि में परीक्षा लिखने की अनुमति मिली और लूरडिप्पा के बच्चे लगातार
परीक्षा लिख रहे हैं। इस भागदौड़ में जैक बोर्ड के माननीय सचिव, श्री पोलिकार्प तिर्की का
योगदान सराहणीय रहा। समाज की ओर से बिशप डा0 निर्मल मिंज, फा0 अगस्तिन केरकेट्टा,
डा0 नारायण उरांव, डा0 जेफ्रेनियुस बखला उर्फ डा० एतवा उरांव, श्री विनोद भगत, श्री
अगस्तिन बाखला आदि का योगदान स्मरणीय है।

कुछ वर्ष बाद थाना सिसई, जिला गुमला स्थित कार्तिक उरांव आदिवासी कुडुख़ उच्च विद्यालय,
मंगलो के विद्यार्थी, कुड़ख़ भाषा की परीक्षा तोलोंग सिकि, लिपि में लिखना चाहे, तब उनके लिए
भी अनुमति दिये जाने हेतु राज्य सम्पोषित उच्च विद्यालय, छारदा, गुमला से वर्ष 2013 में जैक
बोर्ड के पास आवेदन जमा किया गया। इस आवेदन पर कोई करवाई हुई या नहीं हुई, इस
संबंध में समाज के लोगों को पता नहीं चल पाया। इसके बाद वर्ष 2014 में जैक बोर्ड के पास
फिर से आवेदन दिया गया। इस आवेदन के बारे में जानकारी लेने हेतु, अद्दी कुड़ख़ चाला
धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, संस्था की ओर से तत्कालीन माननीय सचिव श्री जिता उरांव एवं
संयोजक डा0 नारायण उरांव, जैक कार्यालय पहूंचे और तकालीन जैक अध्यक्ष डॉ0 आनन्द भूषण
जी से मिले। आरंभिक परिचय एवं परिचर्चा के बाद माननीय जैक अध्यक्ष ने कहा - मुझे अनुमति
देने में कोई दिक्कत नहीं है, परन्तु मुझे लिपि जानने वाले शिक्षकों की सूची की आवश्यकता
होगी। इस विषय पर कुछ स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने कहा - आप लोग उलटा काम
होगी। इस विषय पर कुछ स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने कहा - आप लोग उलटा काम
कर दिये। आप लोगों को उपर से पढ़ाई कराना चाहिए था, जबकि आप लोग नीचे से आरंभ
किये हैं। वे बोले - यदि बी.ए. एवं एम.ए. में प्राथमिक स्तर पर भी लिपि का पठन-पाठन कराया
गया होता , तो वे छात्र, शिक्षक नियुक्त होकर, निचले क्लास के बच्चों को पढ़ा पाते। माननीय
जैक अध्यक्ष डा0 आनंद भूषण जी का सुझाव अनुपालन करने योग्य रहा है।
इसी तरह एक वर्ष बाद वर्ष 2015 में फिर से उसी विद्यालय से माननीय जैक अध्यक्ष डा0
अरविन्द कुमार सिंह के कार्यकाल में आवेदन पहूंचा। परन्तु इस बार सिसई विधान सभा के
विधायक सह माननीय अध्यक्ष झाखण्ड विधान सभा डॉ0 दिनेश उरांव द्वारा विषय की गंभीता को

देखते हुए संज्ञान लिया गया और विभागीय अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया, जिसके बाद
विभागीय अधिकारियों द्वारा समयानुसार 12 फरवरी 2016 को अधिसूचित कर दिया गया। इस
तरह वर्ष 2016 से इच्छुक छात्र कुडुख़ भाषा विषय परीक्षा, तोलोंग सिकि लिपि में लिखने लगे
हैं।

कुछ वर्ष बाद माननीय जैक अध्यक्ष डा0 अनिल कुमार महतो जी के कार्यकाल में वर्ष 2023 में
इंटरमिडिएट स्तरीय पाठ्यक्रम के संबंध में विचार-विमर्श के लिए कुड़ख़ विभागाध्यक्ष डा0
नारायण भगत, डोरण्डा कालेज, रांची एवं अद्दी अखड़ा, संस्था के तत्कालीन माननीय अध्यक्ष श्री
जिता उरांव तथा अद्दी अखड़ा, संयोजक, डा0 नारायण उरांव, जैक कार्यालय पहूंचे। बातचीत के
दौरान माननीय जैक अध्यक्ष द्वारा बतलाया गय कि - पाठ्यक्रम संबंधी कार्य अब जे.सी.ई.आर.टी.
द्वारा देखा जाता है, इसलिए वे इस विषय पर कुछ भी मदद नहीं कर पाएंगे।

उपरोक्त मुद्दों पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के अंतर्गत कुडुख विभाग के पूर्व
विभागाध्यक्ष डा. हरि उरव द्वारा डोक्यूमेन्टरी फिल्म लकीरें बोलती हैं (प्रकाशित-17.03.2018) एवं
रांची दूरदर्शन के अबुआ झारखण्ड कार्यक्रम में दिये साक्षात्कार (प्रसारित-10.02.2025) के दौरान
कहा गया कि - उरांव (कुडुख़) समाज को कुडुख़ तोलोंग सिकि की पढ़ाई प्राथमिक कक्षा से
आरंभ करनी चाहिए। बी.ए. एवं एम.ए. में पढ़ाई कराने में दिक्कतें होगीं।
गी। यहां पर, एक प्रशासक और एक शिक्षक के विचार अलग-अलग हैं। ऐसी उलझन की स्थिति में समाज की ओर से
सरकार के उच्चस्त पदों पर विराजमान अधिकारियों के समक्ष एक प्रश्न है - यदि कुडुख़
तोलोंग सिकि की पढ़ाई, प्राथमिक कक्षा से आरंभ की जाती है, तो उन बच्चों को पढ़ाएगा कौन
?? क्योंकि यूनिवर्सिटी स्तर पर अब तक बी.ए. एवं एम.ए. के पाठ्यक्रम मे कुडुख़ तोलोंग सिकि
शामिल नही किया जा सका है, तब यहां के ग्रेजुएट स्कूल शिक्षक बनेंगे भी तो वे लिपि में
आरंभिक पढ़ाई नहीं किए रहने के चलते बच्चों को पढ़ा नहीं सकेंगे! फिर तो बात वहीं की वहीं
रह जाएगी है। आशा है कि - सरकार एवं यूनिवर्सिटी के उच्च पदों पर पदस्थापित अधिकारी
इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेंगे और आदिवासी समाज, भाषा, लिपि, संस्कृति, संरक्षण सह
संवर्धन हेतु समयानुकूल निर्णय लेंगे।
ज्ञात हो कि - झारखरण्ड सरकार, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के विभागीय
अधिसूचना संख्या 129 दिनांक 18.09.2003 द्वारा तोलोंग सिकि को कुड़ख़ भाषा की लिपि के
रूप में मान्यता प्रदान किया गया है तथा माह सितम्बर 2025 में वैश्विक स्तर पर The
Unicode Standard, Version 17.0 द्वारा UNICODE BLOCK में तोलोंग सिकि को
शामिल कर लिया गया है।

रिर्पोटर -

श्री अरविंद उरांव
संस्थापक,
कार्तिक उराव आदिवासी कुडुख़ उच्च विद्यालय,
मंगलो, सिसई, गुमला।
दिनांक - 19.11.2025

Sections