रांची: झारखंड के जाने माने शिक्षाविद डॉ करमा उरांव नहीं रहे। रविवार (14 मई 2023) सुबह उनका निधन हो गया। डॉ करमा कुछ समय से बीमार चल रहे थे। हफ्ते में दो बार डायलिसिस चलता था। वे डायबिटीज और हाइपरटेंशन से पीडि़त थे। गत वर्ष कोरोना काल में उनके बड़े बेटे का देहांत हो गया था। डॉ करमा अपने परिवार के साथ मोराबादी स्थित आवास में रह रहे थे। वह अपने पीछे अपनी पत्नी, छोटा पुत्र और पुत्री (विवाहिता) छोड़ गये हैं। बड़े बेटे की पत्नी और पौत्र मुंबई में रहते हैं। यह जानकारी डॉ करमा के परिचितों से मिली है। उनके निधन पर झारखंड और आसपास के राज्यों में, खासकर आदिवासी समाज में, शोक व्याप गया है। डॉ करमा के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने शोक संवेदना प्रकट की है। बतायें कि डॉ करमा आपने युवा काल से ही राजनीति में खास रूचि रखते थे। अस्सी के दशक में युवा करमा का व्यक्तित्व एक युवा छात्र नेता के रूप में खूब उभरा। बाद में वह राजनीतिक दल से भी जुड़े।
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आदिवासी विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए डॉ करमा हमेशा याद किये जाएंगे। आदिवासी समाज की प्रथाओं और इतिहास पर डॉ करमा ने विदेशों में जानकर दर्जन भर से ज्यादा व्याख्यान भी दिया था। डॉ करमा के निधन पर जानेमाने शिक्षाविद व तोलोंग सिकि लिपि के अविष्कारक डॉ नारायण उरांव, अद्दी अखरा के अध्यक्ष जिता उरांव, सहित कई शख्सियतों ने शोक संवेदना प्रकट की है।