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कोटवार प्रशिक्षण कार्यक्रम रांची में संपन्‍न

आज दिनांक 23/11/2025 दिन रविवार को Tribal Education Awareness Management (TEAM) धुमकुड़िया के अगुवाई में coordinator(कोटवार) प्रशिक्षण कार्यक्रम बनहोरा, रांची झारखंड में टाना भगत अतिथि गृह हॉल में किए गए। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्री महादेव टोप्पो (साहित्यकार सह सदस्य, साहित्य अकादमी), डॉ अभय सागर मिंज (प्रोफेसर, मानव शास्त्र), प्रोफेसर रामचंद्र उरांव (प्रोफेसर लॉ ), डॉ नारायण उरांव 'सैन्दा', तोलोंग सिकि जनक और श्री अजय केरकेट्टा (फाउंडर झारखंड DMC) ने धुमकुड़िया, व्यक्तित्व विकास, स्वरोजगार, भाषा- लिपि एवं टीम धुमकुड़िया को सशक्त करने में कॉर्डिनेटर कि भूमिका, कार्य को विस्तर पूर्वक रखा गया l टीम धुमकुड़िया का वेबसाइट का फ्री लांचिंग एवं अभी तक हुए कार्यों को लोगो के बीच बताया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागी लोगों ने गांव - गांव में धुमकुड़िया संचालन के साथ-साथ स्वरोजगार से संबंधित बातों को लोगों के बीच में रखे ताकि हरेक आदिवासी गांव, शहर इत्यादि जगहों में ecosystem तैयार किए जा सकें। इस पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन श्री फूलदेव भगत के द्वारा किया गया। धुमकुड़िया की परिभाषा एवं उसके महत्व से अवगत कराया गया  एवं इस पर सक्रीय रुप से कैसे लोगों के बीच लाया जा सके ताकि समाज को नई दिशा मिल सके जिससे आदिवासी पुरखों के द्वारा दी गई  धरोहर धुमकुड़िया को संजोया जा सके, संस्कृति को बचाया जा सके और आने वाली पीढ़ी को परम्परागत शिक्षा और आधुनिक शिक्षा के माध्यम से जोड़ा जा सके। टीम धुमकुड़िया के तरफ से तोलोंग सिकि लिपि का यूनिकोड मिलने की खुशी में  लगातार प्रयास करने वाले डॉ नारायण उरांव 'सैन्दा' सर को बुके एवं सॉल देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यशाला में  Tribal Matrimony के संचालक श्री विवेकानंद उरांव ने भी अपना बहुमूल्य वक्तव्य दिया। इस अवसर पर टाना भगत अतिथि गृह के संरक्षक श्री जनार्धन टाना भगत ने धुमकुड़िया पुनर्जागरण हेतु माघ पूर्णिमा को प्रत्येक गांव में धुमकुड़िया प्रवेश दिवस मनाये जाने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे सर्वसहमति से स्वीकृत एवं पारित किया गया। ज्ञात हो कि परम्परागत रूप से ऐसा कार्यक्रम माघ महीने के इंंजोरिया पक्क्ष में हुआ करता था। समय के साथ साथ पूरे झारखंड में सभी सम्मानित कोटवार का वृहद रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम रखने का प्रस्ताव रखे, जिसे टीम धुमकुड़िया सहर्ष स्वीकार कर इसपर कार्य करने के लिए सहमति व्यक्त की गई । कार्यशाला समाप्ति से पहले डॉ अभय सागर मिंज द्वारा एक प्रस्ताव लाया गया कि वर्ष 2026 में डॉ नारायण उरांव द्वारा किये गए कार्य के लिए केन्द्र सरकार के पास पद्मश्री सम्मान हेतु समाज की ओर से आवेदन भेजा जाएगा, जिस पर उपस्थित समूह द्वारा सर्वसहमति से स्वीकृत एवं पारित किया गया।
इस Coordinator (कोटवार) प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न जिलों (लातेहार , लोहरदगा, रामगढ़, गुमला, रांची) से 50 कि संख्या में भाग लिए। खुशी कि बात यह है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का पता चलने पर इंजीनियर भुनेश्वर बाखला (रिटायर्ड ग्रुप जनरल मैनेजर ONGC), श्री जीतू उरांव, श्री अतुल कुमार केरकेट्टा (रिटायर्ड DSP) जैसे शख्सियत भी शामिल हुए। पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने में टीम धूमकुड़िया के सक्रीय सदस्य श्री अजय केरकेट्टा,श्री शिवशंकर उरांव, श्री ब्रज किशोर बेदिया, श्री रवि कुमार तिर्की, डा० विनीत कुमार भगत , श्रीमती सरिता उरांव और टाना भगत अतिथि गृह हॉल बनहोरा में, रांची के संयोजक जर्नाधन टाना भगत, सुरेश उरांव इत्यादि लोगों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित कराने में अपनी भूमिका निभाई।
रिपोर्ट -
शिव शंकर उरांव 
शोधार्थी, कुड़ुख़ विभाग 
रांची विश्वविद्यालय, रांची।

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