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तीन दिवसीय आदिवासी सरना युवा प्रशिक्षण शिविर सराजपुर, सुंदरगढ़, उड़ीसा में सम्‍पन्‍न

 दिनांक  13,14 और 15 जून 2025 को तीन दिवसीय आदिवासी सरना युवा प्रशिक्षण शिविर स्थान - सराजपुर, सुंदरगढ़, उड़ीसा में सम्‍पन्‍न हुआ। इस शिविर में शामिल होने के लिए मैं 24 घंटे  में 605 किलोमीटर का दूरी तय करके  प्रशिक्षण शिविर स्थान पहूंचा । इसके लिए मैं झारखण्‍ड के गुमला जिला के  बिशनपुर थाना के सखुवा टोला गांव से 145 किलोमीटर की दूरी स्‍कूटी से तय करके  रांची पहूंचा । फिर  130 किलोमीटर की दूरी तय करके  रांची से टाटा पहूंचा। उसके बाद टाटा से झारसुगुड़ा  260 किलोमीटर की दूरी रेलगाड़ी से तय किया ।  उसके बाद झारसुगुड़ा से 40 किलोमीटर दूरी तय कर सुन्‍दरगढ़ पहूंचा। फिर सुन्‍दरगढ़ से 30 किलोमीटर कार में बैठकर सराजपुर तक पहुंचा ।  यह सफर 145 किलोमीटर स्कूटी से, फिर 130 किलोमीटर बस से, फिर 260 किलोमीटर ट्रेन से फिर 70 किलोमीटर कार से  तय कर 24 घंटा बिना सोये पूरा किया। यह शैक्षणिक भ्रमण मेरे लिए एक यादगार सफर  रहा। इस सफर के मुख्य प्रतिभागी डा0 नारायण उरांव थे जो टाटा से  शैक्षणिक भ्रमणआरंभ किए और मैं उनके साथ रहा।
 
 मेरे लिए इस  शैक्षणिक भ्रमण का मुख्य उद्देश्य  डॉ नारायण उरांव द्वारा तोलोंग सिकि(लिपि)पर ढाई घंटे का वर्कशॉप था । दूसरी मुख्य बातें थी आदिवासी उरांव समुदाय की युवा लीडरशिप प्रशिक्षण जिसमें 200 से अधिक बच्‍चे बच्चियां उरांव समुदाय से थीं और तीन दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल रहीं। इस शिविर मे शामिल होने के लिए  200 से 250 किलोमीटर दूर से तथा अलग-अलग सुदूर क्षेत्र से आए थे। झारखंड उड़ीसा छत्तीसगढ़ से आए सामाजिक  बुद्धिजीवी शिक्षित वर्ग द्वारा तीन दिन समय अनुसार धर्म संस्कृत,भाषा लिपि जीवन दर्शन, उच्च शिक्षा संबंधी तथा उरांव समुदाय में शादी विवाह परंपराएं प्रथाएं इत्यादि बिंदुओं पर कार्यशाला किया गया। इस कार्यशाला में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के धर्मगुरु श्री बंधन तिग्गा जी शामिल हुए थे।यह कार्यशाला मुख्य रूप से राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा उड़ीसा प्रदेश द्वारा आयोजित किया गया था।

 इस आयोजन को सफल बनाने में  श्री  सुशांत उरांव  शिक्षक और उड़ीसा प्रदेश के सामाजिक अगुवा श्री  मणिलाल केरकेटा इत्यादि समाजसेवी का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा।  इस कार्यशाला में शामिल होने के लिए कुड़ख़ भाषा विभग के शोधारथी  भुवनेश्वर उरांव जो  विरासस भारती विशुनपुर से यातरा आरंभ कर राउरकेला रहूंचे और राउरकेला से आगे का सफर में हमलोग एक से तीन भले बन गए । यह शैक्षणिक भ्रमण  का विषय एवं प्रशिक्षण शिविर उत्‍साह वर्धक  रहा और बिना सोये सुंदरगढ़ उड़ीसा राउरकेला से रांची पहुंचे गए। इस दौरान मेरी आंखें सो नही पायीं और बातें बनाते बनातें आखिर 09:30 बजे रात में रांची पहुंच गए। इस दौरान मेरी नींद को भी आंख के बाहर बैठकर सफर पूरा करने किया होगा।
रिपोर्टर '
शिवशंकर उरांव
रांची।

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