आज दिनांक 13/02/2025, दिन गुरुवार को आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उराँव के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने महामहिम राज्यपाल से मुलाकात की।
मौके पर सुशील उराँव ने महामहिम राज्यपाल, जो झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति और जनजातीय समुदायों के संवैधानिक संरक्षक हैं, के समक्ष जनजातीय भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण से जुड़ी गंभीर चिंताओं को रखा। उन्होंने कहा कि रांची विश्वविद्यालय में 1974 ई० से जनजातीय भाषाओं (उराँव/कुड़ुख़, संथाली, मुण्डारी, हो, खड़िया) की पढ़ाई प्रारंभ की गई थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता के कारण ये भाषाएँ धीरे-धीरे विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं। इन भाषाओं के लिए अब तक एक भी समर्पित कक्षा उपलब्ध नहीं है।
प्रतिनिधिमंडल ने निम्नलिखित चार प्रमुख माँगें रखीं:
1. विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में जनजातीय भाषा विभागों की स्थापना:
झारखंड के पाँचवीं अनुसूची क्षेत्रों में स्थित सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में उराँव/कुड़ुख़, मुण्डारी, हो, संथाली और खड़िया भाषा विभागों की स्थापना की जाए। इन विभागों के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं हेतु उपयुक्त कक्षाएँ, पुस्तकालय, संग्रहालय और एक धुमकुड़िया भवन के साथ एक विश्वस्तरीय संरचना का निर्माण किया जाए।
2. शिक्षकों एवं गैर-शिक्षकीय कर्मचारियों की नियुक्ति:
उराँव/कुड़ुख़, मुण्डारी, हो, संथाली और खड़िया भाषा विभागों में यूजीसी गाइडलाइन के अनुरूप शिक्षकों और गैर-शिक्षकीय कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति की जाए।
3. आरक्षण नीति का प्रभावी क्रियान्वयन:
झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में राज्य सरकार द्वारा घोषित 26% आरक्षण नीति को प्रभावी रूप से लागू किया जाए। अनुसूचित जनजातियों के लिए कुलपति (VC), रजिस्ट्रार, DSW, प्रधानाचार्य, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं गैर-शिक्षक पदों पर आरक्षण का पालन किया जाए।
4. जनजातीय भाषा लिपियों को सिलेबस में शामिल किया जाए:
सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में जनजातीय भाषाओं (उराँव/कुड़ुख़ - तोलोंग सिकी, संथाली - ओलचिकी, एवं अन्य भाषाओं की लिपियाँ) के अध्ययन-अध्यापन को अनिवार्य बनाया जाए। स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में इन भाषाओं की लिपियों पर आधारित एक अनिवार्य पेपर जोड़ा जाए और इनके शोध एवं प्रचार-प्रसार की समुचित व्यवस्था की जाए।
महामहिम राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल की माँगों को गंभीरता से सुना और उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मीडिया प्रभारी सुमित उराँव, राँची विश्वविद्यालय अध्यक्ष मनोज उराँव, राँची विश्वविद्यालय अध्यक्ष राजू कुमार उराँव तथा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय अध्यक्ष विवेक तिर्की शामिल थे।