बरा घोखदत का – कुंडुखर गहि, एज्जरना एकासे परदा उंगी?
हमारी सामाजिक एकता टूट रही है क्योंकि - 1.आज हमारी पड़हा,धुमकड़िया,अखड़ा, चाला-टोंका, पंचा, मदाइत, कोहा-बेंज्जा,कुंडी आदि की समृद्ध परंपरा छिन्न-भिन्न हो गई है. फलतः,समाज के सभी लोगों को जोड़े ऱखने की जो एकजुट, मजबूत पुरखा परंपरा कायम थी, वह कड़ी व सामाजिक एकजुटता की लय कहीं टूट गई लगती है.ऐसी हालत में अब हम क्या कर सकते हैं? आइए मिलकर सोचें !