रांची, 12 सितंबर: कुंड़ुंख भाषियों की संस्था अद्दी अखड़ा ने झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकि शिक्षा विभाग के निदेशक को एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि तत्काल प्रभाव से झारखंड के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में कुंड़ुंख भाषा एवं तोलोंग सिकि लिपि को शामिल किया जाय। इससे पहले रांची विश्वविद्यालय के कुलपति को भी इस संदर्भ का ज्ञापन सौंपा गया था लेकिन कुलपति ने अबतक समाज की इस मांग को स्वीकार नही किया है।
ज्ञापन इस प्रकार है: विषय - उरॉँव (कुडुख) भाषा, सस्कृति एव लिपि (तोलोड सिकि) के संरक्षण एवं संवर्द्धण हेतु विश्वविद्यालयों में जनजातीय भाषा की लिपि विषयक पाठ्यचर्या शामिल करने के संबंध में।
महोदया,
उपरोक्त विषय के सबध में निवेदन पूर्वक कहना है कि हम सभी उराँव जनजाति समुदाय के सदस्य है। भारत देश में उराँव समुदाय की जनसख्या लगभग 40 लाख है। वर्तमान में उरौँव समुदाय के लोग भारत देश के झारखण्ड, छतीसगढ, ओडिसा, पश्चिम बगाल, असम, बिहार, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र. उत्तर प्रदेश (सोनभद जिला) आदि राज्यो में निवासरत है। इस सबध में हमें कहना है कि -
1 उराँव जनजाति समुदाय की अपनी विशिष्ट भाषा कुडुख है तथा इस भाषा की अपनी विशिष्ट लिपि है. जिसका नाम तोलोड सिकि है।
2 उरॉँव (कुडुख) की लिपि तोलोग सिकि को वर्ष 2003 मे झारखण्ड सरकार द्वारा तथा वर्ष 2018 में पश्चिम बगाल सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान किया गया है और आरभिक स्तर पर कही-कही प्रशिक्षण कार्य चलाया जा रहा है। (छाया प्रति सलग्न)।
3 झारखण्ड सरकार में सताली, उरॉव (कुडुख), मुण्डारी, हो एव खडिया आदिवासी भाषा को वर्ष 2011 में द्वितीय राजकीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। (छाया प्रति सलग्न)।
4. झारखण्ड मे कुँडुख भाषा विषय की मैट्रिक परीक्षा सामाजिक गैरसरकारी विद्यालयो में वर्ष 2009 से तोलोग सिकि (लिपि) मे लिखी जा रही है। (छाया प्रति सलग्न)।
5 झारखण्ड सरकार, मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा वर्ष 2003 में Medium of Instruction जारी किया गया है तथा वर्ष 2003 में ही तोलोग सिकि (लिपि) को कुडुख भाषा की लिपि स्वीकार किया गया है। (छा० प्र० स०)।
6. उराँव समाज के लोगों द्वारा द्वारा राँची विश्वविद्यालय, राँची के माननीय कुलपति महोदय को दिनाक 02032024 को कुँडुख भाषा की तोलोग सिकि (लिपि) को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने तथा पठन-पाठन कराये जाने हेतु ज्ञापन सौपा गया था, परन्तु माननीय कुलपति द्वारा समाज की मांग को अबतक स्वीकार नहीं किया गया है। (छाया प्रति सलग्न)।
7. इस संबंध में समाज द्वारा दिनाक 15 04.2025 को मुख्यमत्री सचिवालय, झारखण्ड, कार्यालय में कुँडुख भाषा की तोलोग सिकि (लिपि) को पाठ्यक्रम में शामिल कराने तथा पठन-पाठन कराये जाने हेतु ज्ञापन सौपा गया था, परन्तु इस संबंध में अबतक किसी तरह की कारवाई सरकारी स्तर पर नहीं हो पाई है। (छाया प्रति संलग्न)।
8. उराँव (कुडुख) भाषा एवं तोलोड सिकि (लिपि) के विकास तथा उराँव समाज द्वारा किए गए सामाजिक प्रयास को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिनाक 31.122023 को 108वें मन की बात में सराहना भी की गयी है।
9. उरॉव (कुडुख) समाज पढ़ाई-लिखाई के लिए हिन्दी एवं अंग्रेजी के साथ तीसरी भाषा के रूप में अपनी मातृभाषा कुडुख रखना चाहता है और सामाजिक स्तर पर लगभग 35-40 प्राथमिक/उच्च विद्यालय चलाए जा रहे है। (छाया प्रति सलग्न)।
उपरोक्त के संबंध में हम सभी उराँव (कुडुख) समाज के लोगों का विनम् निवेदन है कि माननीय निदेशक, उच्च शिक्षा, उच्च एवं तकनीकि शिक्षा विभाग, झारखण्ड सरकार अपने विवेक से झारखण्ड में सभी विश्वविद्यालयों में जनजातीय भाषा, संस्कृति एवं अपनी विशिष्ट लिपि के संरक्षण तथा संवर्धण के उदेश्य से उराँव (कुडुख) भाषा, संस्कृति एवं लिपि (तोलोग सिकि) के संरक्षण तथा संवर्द्धन हेतु उराँव (कुडुख) भाषा के साथ उनकी अपनी विशिष्ट लिपि के पठन-पाठन संबधी आवश्यक विभागीय कार्य-निर्देश जारी कराने की कृपा की जाए। इसके लिए माननीय निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग का हम सभी उरॉव समाज के लोग सदा आभारी रहेगे।
विश्वासभाजन
SEGRETARY
Addi Kurux Shaảid
Dhumk ıriya Parha Akhra