"मीणा" जनजातीय समाज की ओर से 13 मार्च 2021, शनिवार, को समस्त भारतीय आदिवासियों के लिए "जनगणना 2021" की प्रपत्र पर एक पृथक "ट्राईबल कॉलम" में जनगणना हेतु एक सेमिनार जयपुर, राजस्थान में संपन्न हुई। इस सम्मेलन में भारत के सभी क्षेत्रों से जनजाति के लोग उपस्थित होकर अपने विचार रखे। सम्मेलन में राजस्थान के पाँच विधायक और दो पूर्व विधायक उपस्थित हुए, जिन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए जनगणना प्रपत्र में एक पृथक गणना होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आदिवासी समाज की सही जनगणना होने से गणना अनुसार उनकी अनुपात में हमारी अधिकार दिए जाते हैं, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध व जैन के कॉलम में गणना होने से हमारे हक-अधिकार की प्रतिशत घट जाती है, "कॉलम" धर्म का प्रतिक नहीं, केवल जनगणना में अपनी एक पृथक कॉलम के नीचे गणना के लिए होगी, इसकी परिकल्पना है. हम कोई भी जनजातीय आदिवासी हों, सातवें पृथक कॉलम के नीचे लिखवा सकते हैं. राजस्थान के उपस्थित सभी विधायकों ने हमें आश्श्वत किया कि झारखण्ड सहित अन्य तीन राज्यों के अनुसार ही, राजस्थान से एक पृथक जनगणना कॉलम हेतु प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजी जाएगी.
मीणा समाज ने झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कार्यशैली पर संतोष प्रकट करते हुए आदिवासियों के अधिकार के लिए साहसिक प्रयासों हेतु उन्हें बधाई दी.
इस सम्मेलन में एक और खास बात देखने को मिली। झारखण्ड के भगवान बिरसा मुण्डा, जयपाल सिंह मुण्डा, वीर बुद्धू भगत, कार्तिक उराँव के साथ भारत के सभी आदिवासी महापुरुषों को सम्मान दिया गया।
इस सम्मेलन में समाज के सभी तबके के लोगों ने शिरकत की जिसमें जज, वकील, डॉक्टर, अभियंता, सभी एक बैनर के नीचे बैठकर समाज के लोगों द्वारा गलत व्यानबाजी और सरकार की गलत नीतियों पर विरोध दर्ज किया। उन्होंने कहा कि हमारी रूढ़िवादी परम्परा, भाषा-संस्कृति, सामाजिक धार्मिक स्थलों व व्यवस्था को बचाकर रखना है, यही हमारी पहचान बचायेगी। यह जानकारी बिगु उराँव (कुम्हरिया, काँके, राँची) ने दी है।
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