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आदिवासी समाज के इतिहास को दबाया गया

वाराणसी, दुद्धी(सोनभद्र): महारानी दुर्गावती स्मारक स्थल मल्देवा में रविवार को आदिवासी सम्मेलन एवं चिंतन शिविर का आयोजन हुआ। इसकी शुरुआत बावनगढ़ के देवी-देवता एवं आदिशक्ति बड़ादेव के पूजन से हुई। देव कुमार लिंगो ने पूजा अर्चना की।

मुख्य अतिथि आदिवासी महासंघ के बिहार के प्रदेश अध्यक्ष रामनगीना गौड़ ने यहां कहा कि आदिवासी समाज भारत के मूल निवासी हैं जो आदिकाल से यहां निवास करते हैं। आदिवासी समाज जंगलों की रक्षक है, क्यों कि इनका भोजन कंद मूल तथा जंगली फल हुआ करता था। आदिवासी समाज को अंध विश्वास, नशा मुक्ति से ऊपर उठ कर शिक्षा को महत्व देने की जरूरत है, क्योंकि शिक्षा के बगैर मानव जीवन अधूरा है। विशिष्ट अतिथि आदिवासी महासंघ के राष्ट्रीय सचिव असर्फी सिंह परस्ते ने कहा कि हमारे इतिहास को दबाया गया है, क्योंकि हमारे पूर्वज अशिक्षित थे और वे ईमानदारी पूर्वक देश की सेवा करते थे। आदिवासियों का नाम इतिहास से गायब कर दिया गया जो चिंता का विषय है। यहां आदिवासी समाज में भाऊराव देवरस राजकीय पीजी कालेज के मुख्य शास्ता डॉ. रामजीत यादव को अंगवस्त्र व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। डॉ. यादव ने कहा कि यहां के आदिवासी, मूल निवासी अपनी संस्कृति व परंपरा को जिंदा रखें। शिक्षा के जरिए आदिवासी समाज को आगे बढ़ाएं। शिक्षा से ही समाज का विकास होगा। नशामुक्ति अभियान को सफल बनाने पर भी उन्होंने चर्चा की। संचालन कर रहे संयोजक फौदार सिंह परस्ते ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति पूजक समाज है। आदिवासियों को शिक्षित होकर समाज के विकास का संकल्प लेना चाहिए। यहां सुरेंद्र पोया और डॉ. जगतनारायण ने गोंडी संस्कृति पर आधारित लोकगीत एवं नृत्य प्रस्तुत किया। इस दौरान चंद्रिका प्रसाद, अमर सिंह गौड़, रामप्यारे, कमला देवी, शिवानी, सीमा, रामनारायण, आनंद, रामफल, अनिल सिंह, मनरूप, रामलखन, इंद्रदेव, असर्फी मौजूद रहे।

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