दिनांक 16 फरवरी 2022 दिन बुधवार को परम्परगत उरा¡व समाज द्वारा पौराणिक पारम्परिक पाठशाला धुमकुड़िया के रूप में माघ पुर्णिमा 2022 को गुमला जिला के सिसई थाना के सैन्दा ग्राम में रूढ़ी पम्परा पूजा विधि के साथ धुमकुड़िया प्रवेश दिवस मनाया गया। यह दिवस पर, ग्राम सैन्दा के बच्चे एवं बुजूर्ग उपस्थित थे। ज्ञात हो कि पूर्व में उरा¡व समाज के बीच धुमकुड़िया की व्यवस्था थी जो आधुनिक शिक्षा के प्रसार के बाद विलुप्ती के कगार पर है।
इस दिशा में सैन्दा गांव के कुछ लोग जिनमें तोलोंग सिकि (लिपि) के सर्जक डॉ. नारायण उरांव का नाम प्रमुखता से आता है के द्वारा अपने सहयोगियों के साथ वर्ष 2012 से पुनर्जागरण करने का अथक प्रयास किया जा रहा है। इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए ग्रामीण स्तर पर श्री गजेन्द्र उरांव जैसे व्यक्ति का साथ मिला और धीरे धीरे यह अभियान आगे बढ़ रहा है। सैन्दा ग्राम में धुमकुड़िया संयोजन, तीन युवक श्री राजेन्द्र उरांव, श्री जुगेश्वर उरांव एवं श्री जुगेश उरांव के द्वारा किया जा रहा है। इन नवजवानों के संयोजन में गांव के बच्चे बच्चियां अपने स्कूल की पढ़ाई के साथ अपनी मातृभाषा का भी अध्ययन कर रहे हैं।
उक्त धुमकुड़िया पुनर्जागरण कार्यक्रम में डॉ. नारायण उरांव के साथ रांची से आये मेहमान फा. अगुस्तिन केरकेट्टा, एयरफोर्स के पूर्व ग्रूप कैप्टेन श्री अलबर्ट बाअ़, सेवानिवृत शिक्षक श्री धुमा उरांव, मांडर कालेज, मांडर के प्राध्यापक डॉ. बुदू उरांव, श्री मटकु उरांव, श्री बुधराम उरांव एवं कई अलग अलग गांव के पहान, पुजार, महतो तथा कई भाषा स्कूल के शिक्षक उपस्थित थे।
धुमकुड़िया संयोजन समिति के साथ सैन्दा गांव के बहुत से बच्चे बच्चियां एवं अभिभावक इस धुमकुडिया पुनजार्गरण अभियान को सफल बनाने में मददगार हुए।
रिपोर्टर -
श्री जुगेश उरांव
धुमकुड़िया संयोजन समिति
ग्राम सैन्दा, थाना सिसई, जिला गुमला (झारखण्ड)।