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करम राजा (करम देव) की श्रद्धापूर्ण विदाई

यह विडियो ग्राम सैन्दा, थाना सिसई, जिला गुमला के करमा त्योहार का दूसरा दिवस, दिनांक 18-09-2021 दिन शनिवार का है। ग्राम सैन्दा में करमा त्योहार के पहले दिन‚ देर शाम में युवक-युवतियाँ उपवास कर श्रद्धा पूर्वक गाँव के करम पेड़ की तीन डालियां काट कर लाते हैं। करम डाली लाने हेतु उपवास किये हुए लड़के विधि पूर्वक काटकर कुछ दूर तक लाते हैं, फिर बीच रास्ते में ही लड़कों द्वारा उपवास की हुई लड़कियों को सौंपा जाता है। फिर नाचते गाते हुए करम डाली को पहान के घर पहुंचाया जाता है। इन डालियों को पहान द्वारा श्रद्धा पूवर्क अपने घर के छप्पर पर रखा जाता है। फिर देर रात मुर्गा के प्रथम बांग के बाद पहान द्वारा करम की तीनों डालियों को अख़ड़ा के बीच में गाँव के देवी-देवताओं का आह्वान कर स्थापपित किया जाता है। इस दौरान गाँव के सभी युवक-युवतियाँ परम्प रागत गीत-नृत्य करते रहते है। सुबह अपने दैनिक कार्य सम्पन्‍न करने के बाद फिर से दोपहर 12 बजे दिन में  ''करमा त्योअहार'' की कहानी सुनी जाती है। सैन्दा गाँव एक उराँव बहुल गाँव है‚ पर आपसी सौहार्द के चलते वर्षो से इस अवसर पर गाँव के लोहार परिवार के सदस्यर 'करम कहानी' सुनाया करते हैं। कहानी पूर्ण होने के बाद गांव के सभी युवक युवतियां, बड़े बुजूर्ग और बच्चेक अर्थात तीन पीढ़ी के लोग एक साथ नाचते–गाते हैं। अदभूत दृश्य होता है यह‚ मानो अखड़ा में नृत्यन की देवी उतर आयी हो और सबके पैर अपने आप थिरक रहे हों। देर दोपहर बाद करम बोहाने (बिसर्जन) का नेग किया जाता है। इस नेग में पहान द्वारा श्रद्धा पूर्वक स्थापित करम डाली को उखाड़ कर तीनों डाली को अलग–अलग तीन कुंवारियों को सौंपा जाता है। कुंवारियों द्वारा पकड़े हुए करम डाल पर श्रद्धालु बारी–बारी से करम देव अर्थात करम राजा को जल अर्पित करते हैं और शीश नवाकर अंतिम विदाई देते हैं। करमा–धरमा करम कहानी के माध्यम से ऐसा माना जाता है कि बड़े भाई करमा द्वारा अपना अहंकार छोडकर श्रद्धा पूर्वक करम देव के समक्ष समर्पण के साथ अभिवादन (अंहकार रहित अभिनंदन) करते रहने का संकल्प लिया गया, जिसके बाद धीरे–धीरे उसके अच्छे दिन लौटने लगे (करम–कपड़े किरना) और बाद तक उसने सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत किया।
संकलन एवं आलेख –
डॉ नारायण उरांव एवं
गजेन्द्र  उरांव
ग्राम – सैन्दा, थाना – सिसई
जिला – गुमला (झारखण्‍ड)

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