भण्डारा : सात पड़हा कुडुख़ विद्यालय‚ पलमी‚ भण्डारा‚ लोहरदगा में दिनांक 30/10/2021 दिन शनिवार को श्री शनिचरवा उरांव सात पड़हा पलमी के देवान की अध्यक्षता में कुडुख़ भाषा संस्कृति, तोलोंग सिकि के विकास, संरक्षण एवं सात पड़हा कुडुख़ विद्यालय‚ पलमी को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए तथा समाज के सर्वांगीण विकास के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुडुख़ भाषा संस्कृति एवं तोलोंग सिकि के विकास एवं संरक्षण के लिए गाँव में धुमकुड़िया को फिर से संचालित करने के लिए गहन विचार विमर्श हुआ| शनिचरवा उरांव ने कहा कि धुमकुड़िया को फिर से जगाने के लिए गाँव के सभी बुजुर्ग महिला पुरुषों एवं युवक युवतियों को प्रशिक्षण देंगे | नेग चार रीति रिवाज भाषा संस्कृति वाद्य नृत्य संगीत सिखाने के लिए गाँव के जानकार बुजुर्गों, महिला, पुरुषों को चयन किया जाएगा| कुडुख़ भाषा, बुझवल, मुहावरा, कहावत‚ कहानी एवं तोलोंग सिकि लेखन-पाठन के लिए गाँव के पढ़े लिखे युवक युवतियों को चयन किया जाएगा| प्रशिक्षक अरविंद उरांव ने कहा कि हमारे पूर्वज कुडुख़ भाषा संस्कृति के संस्था्पक थे। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि उनका पूर्ण रूप से प्रकृति से लगाव था और उन्हें धरमी सवंग का आर्शीवाद प्राप्त हुआ था। पूर्वजों के बताये अनुसार कुंड़ुख़ समाज में सभी सामाजिक, सांस्कृतिक‚ कृषि कार्य आदि पृथ्वी की घुर्णन एवं परिक्रमन गति, लता के पेड़ पर चढ़ने के अनुरूप सम्पन्न करते हैं। कुडुख़ लिपि नहीं होने के कारण आज हमारी भाषा संस्कृति विलुप्त होने की स्थिति में है। यदि कुडुख़ लिपि की आविष्कार पूर्व में हुआ होता तो हमारे समाज की भाषा संस्कृति और शैक्षिणिक स्तसर की दशा बेहतर होती| कोई बात नहीं इस तरह के कामों को पूरा करने के लिए आखिर आविष्कारक डा.नारायण उरांव का जन्म हुआ और इनके द्वारा रचित तोलोंग सिकि आने वाले समय में वरदान साबित होगा।
अरविंद उरांव ने तोलोंग सिकि की विशेषताओ को संक्षेप में बताया | प्रशिक्षण में उपस्थित लोगों ने विशेषताएँ जान कर कहा कि सचमुच में तोलोंग सिकि लिपि हमारी कुडुख़ भाषा संस्कृति पर आधारित है। अरविंद उरांव ने आगे बताया कि 2021 का जनगणना जल्द होने वाला है इस लिए उरांव /कुडुख़ लोगों को जनगणना फोर्म में मातृभाषा कोलम में अनिवार्य रूप से कुडुख़ और धर्म कोलम में सरना भरने/भरवाने के लिए जगरूकता अभियान चलाया जाए| जन, जंगल, जमीन बचाने के लिए माँ की भाषा हिन्दी और धर्म हिन्दू किसी भी स्थिति में नहीं भरना/भरवाना है। जनगणना का एलान होने के बाद समाज को जागरूक कर पाना संभव नहीं है‚ इसलिए देर न करते हुए जोरों से इसका प्रचार प्रसार के लिए जागरूक अभियान शुरू करेंगे।
देवनुश उरांव 12 पड़हा ने बताया कि इस प्रकार की कुडुख़ भाषा प्रशिक्षण अब प्रत्येक माह किया जाएगा| अब हमलोग जोर सोर से पड़हा को जगरूक करेंगे| उरांव ने आगे बताया कि दिनांक 31/10/2021 को लोहरदगा में जिला पड़हा पदधारियों का शपथ ग्रहण समारोह है। इस प्रशिक्षण कार्य क्रम में एतवा उरांव, रविन्दर उरांव, पुर्णमा उरांव, पूजा उरांव, सरिता उरांव, सुमन उरांव, सुशिला उरांव, सुधनी उरांव, जतरी उरांव, प्रदेशिया उरांव ने भाग लिया।
रिपोर्टर
संजय उरांव
सात पड़हा, पलमी, भंडरा।