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जो हाल पाकिस्तान की जनता का है वही हाल आदिवासी का भी है

जो रिजर्वेशन विकास के लिए दिया गया उसे हम अपना बैसाखी मान बैठें है। आखिर एक कहावत है जब फ्री का पेट भरने के लिए मिल ही जाता है तो फिर दिमाग में इनोवेशन, व्यापार और नया हुनर सीखने के लिए दिमाग क्यों लगाएं।

जो रिजर्वेशन समाज को विकसित करने में खर्च होना था उसे हमलोगों ने उपयोग तो किया लेकिन पढ़ लिख कर अपना पेट, अपना परिवार और अपना आर्थिक इस्तिथि को मजबूत करने में लगा दिया आखिर समाज को मिला कुछ नही। नेता भी बने , ब्यूरोक्रेट भी बने तो सभी ने अपनी अपनी तिजोरी भरने में लगा दिया। ना हमलोगों ने व्यापार पे ध्यान दिया ना ट्रेड और कॉमर्स में, ना प्रोडक्शन में।

फिर चला धर्म के नाम पे विकास करवाने का टेंडर का खेल। और जिसके माध्यम से हम धर्म के ठेकदार लोगों के चंगुल में फंसते गाएं और इधर हमरा जल जंगल जमीन और हमारा खनिज संपदा भी लूटते गया और ना हमारे समाज की बहन बेटियों पे हो रहे अत्याचार को भी रोकने में कायम हो पाएं।

जिस तरह पाकिस्तान का उपयोग अमेरिका ने अपने फायदे के लिए किया और पाकिस्तान अपने आप को हीरो समझने लगा और आज आदिवासी भी उन धार्मिक गिरहों के टुकड़ों में पलकर अपने आप को विकसित समझने लगें।

ठीक उसी तरह जिस तरह से बाहरी मदत से पाकिस्तान का जनता का तो भला हुवा नहीं लेकिन वहां के चंद नेता और आर्मी के ऑफिसियल ने करोड़ों का धन अर्जित कर अपने परिवार के लिए सारे सुख सुविधा हासिल किए लेकिन आम जनता की इस्तिथि खराब ही गई।

ठीक उसी तरह रिजर्वेशन और दीकू धार्मिक साम्राज्यवादी ताकतों ने हमारे संस्कृति और व्यवस्था पे हमला करके IMF की सर्तों की तरह विकास का झुनझुना हम आदिवासियों को दिया जिससे कुछ उनके पालतू गुलाम बनकर अपना विकास का तो डिंडोरा पिट लिए लेकिन आदिवासी समाज की इस्तिथि पाकिस्तानी आम जनता की तरह चरमरा गई।

इसी लिए अपना ज्ञान सिर्फ पढ़ लिख कर नौकरी पाने और अपना  बीबी बच्चा पालने तक सीमित ना रखें। 

अपना नेता और गुरु समाज को बहुत सोच समझ कर चुनना होगा । आखिर भेड़ों का भिंड देख कर ये ना समझ बैठे की अबुवा दिशुम और अबुवा राज आ गया है। बाकी सबको जोहार 🙏 जय सरना 🇦🇹🇦🇹🌿🌿 जय आदिवासी 🏹🏹🏹

 

Bishu Oraon

आलेख / विचार -  बीसु उरांव, तुको, बेड़ो, रांची।

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