श्रद्धेय बाबा विजय उरांव को उनके जन्मदिवस पर उनकी जिया (आत्मा) को शत शत नमन। आज दिनांक 01 जुलाई 2024 को आयोजित बाबा FC विजय उरांव के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित साहित्य संगोष्ठी के लिए विश्वविद्यालय कुंड़ुख़ विभाग परिवार को डॉ नारायण उरांव की से हार्दिक आभार एवं बधाई।
इस अवसर में आप सबों के आमंत्रण पर मैं सशरीर उपस्थित नहीं हो सका, इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं और दूर से ही आप सभी आयोजकों की अनुमति से बाबा विजय उरांव की कृति के बारे में, चन्द शब्द के रूप में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता हूं।
1. बाबा विजय उरांव की कृति कुड़ुख हिन्दी शब्दकोश एक प्रशासनिक सेवा में उच्च अधिकारी रहे व्यक्ति के द्वारा दिया गया समाज के लिए एक अनुपम देन है। अब तक जितने भी अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा में शब्दकोश देखने में आया है, उसमें से कई मायने में यह बेहतर है। पूर्व में उन शब्दकोशों में कई स्थानों पर परम्परागत उरांव समाज को तंग एवं टेढ़ी नजरों से पेश किया गया है, वहीं पर विजय बाबा, वैसे स्थान पर आम लोगों के आत्मीय बनकर बेहतर तालमेल बैठाये हैं।
2. विजय बाबा जब शब्दकोश पर कार्य कर रहे थे, उस समय मुझे भी उनके पांडुलिपि को देखने का अवसर मिला है और हम दोनों एक वृहत शब्दकोश के निर्माण पर चर्चा किया करते थे। इसी सन्दर्भ में मैंने सुझाव देना चाहा कि वे एक वृहत शब्दकोश निर्माण पर कार्य करें, परन्तु वे मेरे सुझाव पर सहमत नहीं हुए और बोले कि ऐसा वृहत शब्दकोश तैयार कर पाना उनके लिए ढलते उम्र में संभव नहीं है। हमें भरोसा है कि आने वाली पीढ़ी इस विषय पर कार्य करेगी। दरअसल कुंड़ुख भाषा में किसी एक क्रिया के मूल धातु से 150 से अधिक क्रिया शब्दों का सामाजिक जीवन में प्रयोग होता है, जिसे संकलित कर एक वृहत शब्दकोश निर्माण किया जा सकता है।
यह भावना एवं अवधारणा नये शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने और किसी पारखी नजर द्वारा समाज के लिए एक बेहतरीन पुस्तक आप सबों के सामने आ सके।
इसी मनोकामना के साथ बाबा विजय उरांव की अंतरात्मा को पुनः नमन करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूं
सबों को जोहार।
भवदीय
डॉ नारायण उरांव
एम.जी.एम.एम.सी.एच.
जमशदेपुर।
दिनांक 01.07.2024
इस संदेश को साहित्य संगोष्ठी में, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० विनीत कुमार भगत द्वारा संप्रेषित किया गया।