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सरहुल का संदेश.. आदिवासी छात्रावास रांची में मनाया गया सरहुल 2021

कोरोना लहर 2 से पूरा देश और सूबा परेशान है. कोरोना लहर 2 के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्‍कतें हो रही हैं. अस्‍पताल में जगह नहीं मिल रहा है. सरकारी अस्‍पतालों में जगह नहीं है. प्राईवेट अस्‍पताल में फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं. ऐसे में गरीब करे तो क्‍या करे। पर सरहूल के अवसर आदिवासी नौजवान, आपदा और महामारी में भी साथ मिलकर आगे बढ्ने का संदेश दे गया. चैत शुक्‍ल तृतिया (15 अप्रील 2021) को सरहूल परब था. आदिवासी समाज के नौजवानों ने अपनी पुस्‍तैनी धरोहर को आगे बढ़ाते हुए को परम्‍परागत तरीके से सरहुल परब मनाया और परम्‍परानुसार पूजा का फूल तथा चाला अयंग का आशीर्वाद (फूलखोंसी) अपने सगे लोगों तक पहूंचाया. वैसे इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते झारखण्‍ड सरकार की ओर से जुलूस निकालने पर पाबंदी थी, जिसके चलते लोग अपने पूजा स्‍थल पर सामाजिक दूरी बनाते हुए पूजा अर्चना किये. बैगा, पहान, पुजार, महतो, करठा आदि द्वारा परम्‍परागत तरीके से पूजा अर्चना किया गया. सभी सरहूल पूजा स्‍थल पर पूजा अर्चना हुआ और गीत नृत्‍य भी किया गया. पर इस वर्ष पूजा पाट तो हुआ पर नाच गान भरपूर नहीं हो पाया. आदिवासी समाज के नौजवान सरहूल पूजा एवं त्‍योहार के अवसर पर एक साथ नृत्‍य भी किये और यह संदेश दिया कि आपदा एवं महामारी में एकजूट रहकर ही इसका मुकाबला किया जा सकता है. आपदा एवं महामारी के समय आदिवासी छात्रावास, रांची के नौजवानों में एकता, जजबा और बिरासत को दर्शाता यह विडियो सरहूल पूजा तथा फूलखोंसी का है.
रिपोर्टर – लक्ष्‍मण उरांव, आदिवासी कालेज छात्रावास, रांची

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