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उपेक्षित आदिवासी भाषाएं : 58 साल की शांति खलखो के संघर्ष की कहानी

27 साल पहले NET, JRF की पात्रता पानेवाली डॉ शांति खलखो के संघर्ष की कहानी, खुद उनकी जुबानी। रांची के जनजातीय भाषा विभाग में 12 साल तक बतौर प्रोफेसर पढ़ाती रही, लेकिन कभी बदले में उन्‍हें एक पैसा मेहनताना नहीं मिला। अब, एक बार फिर 18 जनवरी 2021 को 58 साल की उम्र में डॉ श्‍यामाप्रसाद मुखर्जी विश्‍वविद्यालय में नौकरी के लिए इंटरव्‍यू दिया डॉ शांति खलखो ने।.... Fact Fold (https://youtube.com/FactFold) चैनल के पत्रकार किसलय को अपनी पूरी कहानी बता रही हैं डॉ शांति खलखो..

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