ये विडियो झारखंड प्रदेश के गुमला जिला अंतर्गत सिसई प्रखंड के सैन्दा गांव में चल रहे धुमकुडि़या के बच्चों को भाषा सिखलाये जाने की कक्षाओं का अंश है। ये सभी वीडियो दिसम्बर 2022 में शूट किये गये थे। इस तरह की कक्षाओं के आयोजन के जरिये संध्या में बच्चों को Kurukh भाषा एवं तोलोंग सिकि, यानी लिपि, सिखायी जाती है। आइये देखते हैं पूरा वीडियो..
प्रस्तुत पहली बाल कविता में दादी-नानी अपने चरवाहे पोते से कहती है कि -
ओ इधर-उधर नजर करने वाले बच्चे, तुम किस प्रकार गाय-बैल चरा रहे हो, तुम्हारी बकरी भाग गयी और सियार का चारा बन गई।
ओ इधर-उधर नजर करने वाले बच्चे, तुम घर-द्वार खेलने में लीन हो, तुम्हारी भेड़ भाग गई और हुण्डार का चारा बन गई।
ओ इधर-उधर नजर करने वाले बच्चे, तुम लस्सा-ठुंगही से चिडि़या पकड़ने में लीन हो, तुम्हारी बाछी भाग गई और हड़हा का चारा बन गई।
ओ चरवाहे बच्चे, तुम लस्सा-ठुंगही से चिडि़या पकड़ना बंद करो और किताब-कापी पकड़ो तथा लिखना-पढ़ना सीखो।
प्रस्तुत दूसरी बाल कविता में छोटे बच्चे अपनी मां से चिडि़यों के बच्चे के माध्यम से संदेश देते हुए कहते हैं कि -
ओ मां, छोटी चिडि़यां चेरे-बेरे चेरे-बेरे, चीं - चीं - चीं कर रही हैं, और चेरे-बेरे, चेरे-बेरे करते हुए दूध भात मांग रही है।
ओ मां, छोटी चिडि़यां चेरे-बेरे चेरे-बेरे, चीं - चीं - चीं कर रही हैं, और चेरे-बेरे, चेरे-बेरे करते हुए पैण्ट-कमीज मांग रही है।
ओ मां, छोटी चिडि़यां चेरे-बेरे चेरे-बेरे, चीं - चीं - चीं कर रही हैं, और चेरे-बेरे, चेरे-बेरे करते हुए पढ़ने के लिए किताब-कापी मांग रही है।
ओ मां, छोटी चिडि़यां चेरे-बेरे चेरे-बेरे चीं - चीं - चीं कर रही हैं, और चेरे-बेरे, चेरे-बेरे करते हुए स्कूल जाने के लिए अनुमति मांग रही है।
प्रस्तुत तीसरी बाल कविता में छोटे बच्चों में से एक भाई अपनी छोटी बहन के लिए चन्दा मामा से गरम-गरम रोटी की मांग करते हुए दोनों भाई-बहन कहते हैं कि -
ओ चन्दा मामा, तुम मेरी छोटी बहन और मेरे लिए रोटी दो, तुम हम दोनों के लिए रोटियां दो।
ओ चन्दा मामा, हमारी मां का दिया हुआ रोटी गड्ढे में गिर गया, जिसे एक लालची बुढि़या उठा ली और अकेले खा गई, हमें नहीं दी।
ओ चन्दा मामा, छिलका रोटी नहीं, छाना हुआ रोटी हो तथा ठण्डा नहीं गरम हो, ओ चन्दा मामा तुम हमें रोटियां दो, हमें रोटियां दो।
साभार - चींचो डण्डी अरा ख़ीरी,
लेखक - डा. नारायण उरांव 'सैन्दा', प्रकाशक - अद्दी अखड़ा, रांची, संस्करण- 2022.