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Learning KURUKH [Tribal Language] through Rhymes Recitation in Rural Jharkhand I

पूरा वीडियो यहां देखें: https://youtu.be/AU5W3dAqQgQ 
इस वीडियो में गाये जा रहे गीत के बोल- दादी-नानी अपने चरवाहे पोते से कहती है कि - 
ओ इधर-उधर नजर करने वाले बच्‍चे, तुम किस प्रकार गाय-बैल चरा रहे हो, तुम्‍हारी बकरी भाग गयी और सियार का चारा बन गई।
ओ इधर-उधर नजर करने वाले बच्‍चे, तुम घर-द्वार खेलने में लीन हो, तुम्‍हारी भेड़ भाग गई और हुण्‍डार का चारा बन गई।
ओ इधर-उधर नजर करने वाले बच्‍चे, तुम लस्‍सा-ठुंगही से चिडि़या पकड़ने में लीन हो, तुम्‍हारी बाछी भाग गई और हड़हा का चारा बन गई।
ओ चरवाहे बच्‍चे, तुम लस्‍सा-ठुंगही से चिडि़या पकड़ना बंद करो और किताब-कापी पकड़ो तथा लिखना-पढ़ना सीखो।
साभार - चींचो डण्‍डी अरा ख़ीरी,
लेखक - डा. नारायण उरांव 'सैन्‍दा', प्रकाशक - अद्दी अखड़ा, रांची, संस्‍करण- 2022. 

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