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समाज के उत्‍थान के लिये धुमकुड़िया पर वृहत शोध की आवश्‍यक्‍ता है : एक परिचर्चा

रांची: शुक्रवार, 07 जुलाई को रामकृष्‍ण मिशन विवेकानन्‍द एजुकेशनल एंड रिसर्च इंस्टिच्‍युट के सभागार में 'Significance of Dhumkuria' विषय पर पैनल चर्चा हुई। यह परिचर्चा इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कलाकेंद्र रांची द्वारा आयोजित की गई थी। इस आयोजन में मुख्य अतिथि रामकृष्ण मिशन आश्रम रांची के माननीय सचिव स्वामी भवेशानन्द जी थे तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में  साहित्यकार एवं साहित्य अकादमी  नई दिल्ली के सदस्य श्री महादेव टोप्पो जी उपस्थित थे। इस परिचर्चा के मुख्य वक्ता इतिहासकार डॉ० दिवाकर मिंज कुँड़ुख ;उराँव भाषा की लिपि तोलोंग सिकि के जनक डॉ० नारायण उराँव एवं पत्रकार श्री गौतम चौधरी थे।  इस परिचर्चा के मॉडरेटर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र रांची के क्षेत्रिय निदेषक डॉ० सपन रणविजय सिंह थे। यह परिचर्चा का उदेश्य वर्तमान समय में धुमकुड़िया की महत्ता पर समाज एवं अध्ययन कर्ताओं का ध्यान आकृष्ट कराना है। इस परिचर्चा में सभी वक्ताओं ने उरांव समाज द्वारा स्थापित धुमकुड़िया की प्रशंसा की और कहा कि इस विषय पर वृहत शोध हो और समाज के लोग इस दिशा में आगे बढ़ें।
मुख्य वक्ताओं में से डॉ० नारायण उरांव सैन्दा द्वारा मॉडरेटर को भेजा गया आलेख की छाया प्रति आप पाठक गण नीचे पी.डी.एफ.में अवलोकन करें।

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