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आदिवासी शिक्षा परंपरा को बचाने की कोशिश है धुमकुड़िया 2020

सरना यूथ वेलफेयर ग्रूप और आदर्श आदिवासी विकास सरना समिति के संयुक्त तत्वावधान में बीर बुधु भगत आदिवासी हॉस्टेल, हातमा  में 'धुमकुड़िया-2020' का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हर वर्ष इन संस्थाओं द्वारा आयोजित किया जाता है।

कार्यक्रम के तहत पिछले चार दिनों तक वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के द्वारा  देश भर से युवा जुड़े। उन्‍होंने विभिन्न आदिवासी मुद्दों पर चर्चा की। इस ऑनलाइन कार्यक्रम को प्रत्येक दिन करीब दस हजार से अधिक युवाओं ने कार्यक्रम को देखा और अपनी प्रतिक्रिया दी, अपने विचार, मंतव्य रखे। जिसमें शिक्षा के अलावा विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ व जानकार युवा विद्वानों ने अपने अपने विचार ऱखे। 

कार्यक्रम का समापन दिवस पर अनुज लुगुन ने आदिवासी साहित्य संबंधित विचार रखा। उन्‍होंने युवाओं को अधिक से अधिक लिखने पर बल दिया।  इस अवसर पर भी आदिवासी युवाओं ने समाज की विभिन्न समस्याओं और मुद्दों पर अपने विचार रखा।

घुमकुडि़या 2020

आदिवासी पारंपरिक विधि विशेषज्ञ सहायक प्राध्यापक रामचन्द्र उराँव ने आदिवासी जीवन संबंधी विविध कानूनों की जानकारी दी और युवाओं से आग्रह किया कि आदिवासी परंपरा व कानून आदि की बारे जागरूक बनें।

कोल्हान में दो दर्जन से अधिक डिजिटल लाइब्रेरी आदिवासी इलाके में स्थापित कर चुके संजय कच्छप ने कहा कि- धुमकुड़िया आदिवासियों की पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था थी उसे अब लाइब्रेरी और वाचनालय के रूप में विकसित किया जा सकता है और युवाओं को वर्तमान सामाजिक चुनौतियों सामना करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

घुमकुडि़या 2020

दिल्ली से आये अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बलभद्र बिरूवा ने युवाओं को आर्थिक समस्याओं को जमीनी स्तर पर निपटने के उपाय सुझाए दिए जबकि रान्धो देवगम ने युवाओ को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए टिप्स व सुझाव दिए। 
महादेव टोप्पो ने इस अवसर के लिए विशेष रूप से युवाओं को संबोधित अपनी लंबी कविता- “धुमकुड़िया में फिर दीया जला रहे हैं” - का पाठ किया। कविता के माध्यम से  युवाओं को आधुनिक विज्ञान, तकनीक व ज्ञान के साथ आदिवासी परंपरा के मूल्यों, आदर्शों, परंपरा, विरासत के बीच सामंजस्य बिठाने पर बल दिया।

प्राध्यापक रामकिशोर भगत ने अपनी भाषा, संस्कृति, इतिहास, परंपरा को बचाने का आह्वान किया। इनके अलावा संजय कुजूर, डॉ। राजेन्द्रनाथ भगत, सुशीला लकड़ा,सोमनाथ भगत,संजीव भगत, अजय केरकेट्टा, कमला लकड़ा, प्रभाकर कुजूर ने भी अपने विचार रखे। इन्द्रजीत भगत, धुमकड़िया बेजांग, धुमकुड़िया कोटाम, मेरले लूरकुड़िया, लोहरदग्गा की टीमों ने इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इन टीमों को आयोजकों की ओर से पुरस्कृत किया गया।

घुमकुडि़या 2020

उक्त अवसर पर धुमकुड़िया -2020 स्मारिका का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन शिल्पी उराँव,अंजली उराँव,विपिन तिर्की एवं मुकुल तिर्की ने किया। (प्रेस विज्ञप्ति)

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