भारतीय संसद द्वारा पारित पेसा कानून 1996 (PESA ACT 1996 ) के Section 4(d) के तहत दिनांक 18 एवं 19 मई 2024 दिन शनिवार एवं रविवार को 9 पड़हा गांव, 7 पड़हा गांव एवं 6 पड़हा गांव, कुल 22 गांवों की सभा (22 गाव का पड़हा बैठक) द्वारा अपनी रूढ़ी-परम्परा के अनुसार ‘‘परम्परागत ग्रामसभा पड़हा बिसुसेन्दरा, सिसई-भरनो’’ का आयोजन किया गया। परम्परागत कुँड़ुख़ समाज द्वारा आयोजित यह परम्परागत ग्रामसभा पड़हा बिसु सेन्दरा का 2 दिवसीय वार्षिक अधिवेशन, ग्राम : सैन्दा, थाना : सिसई, जिला : गुमला में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का संयोजन परम्परागत गांव सभा के पंच्चों में से पड़हा बिसुसेन्दरा बेल - श्री दशरथ भगत, कुहाबेल - श्री जुब्बी उरांव, देवान - श्री मटकु उरांव, कोटवार - श्री गजेन्द्र उरांव, भंड़ारी - श्री उमेश उरांव के द्वारा किया गया। सम्मेलन में 22 गाँव के गाम सभा के पदधारी एवं पारम्परिक ग्रामीण पुजारी पहान, महतो, पुजार इत्यादि उपस्थित थे। बिसुसेन्दरा के पहले दिन अर्थात दिनांक 18 मई 2024 की बैठक में पड़हा गांव के सिर्फ पुरूष लोग गांव-समाज में रूढ़ी व्यवस्था के अन्तर्गत देश के संविधान एवं कानून व्यवस्था के साथ सामंजस्य बनाकर कार्य किये जाने के संबंध में कई पारम्परिक नियमावली को लिखकर संकलन करने पर चर्चा किये। उसके बाद अंतिम दिन अर्थात दिनांक 19 मई 2024 की बैठक में पड़हा गांव की बैठक में महिलाएँ के साथ शामिल हुईं। महिलाओं द्वारा पूर्व की भांति, लोटा में पानी और आम का डहुरा लेकर पुरूषों का स्वागत की। महिलाओं को यह उम्मीद रहती है कि पुरूष गण अपने परिवार तथा समाज के लिए अच्छा निर्णय करके आये होंगे और गांव समाज को आगे ले जाएंगे। पिछले वर्ष 2023 में बदलते सामाजिक परिवेश के अनुसार महिलाएँ, 9 फुदना वाला 9 पड़हा के लिए, 7 फुदना वाला 7 पड़हा के के लिए तथा 6 फुदना वाला 6 पड़हा गांव के महतो-पहान के लिए अईरपन-सिन्दुर लगाकर ‘‘पड़हा खेवा डांग’’ सौंपा गया और वे पुरूषों से आह्वान कीं - कि वे स्वयं समाज-परिवार के लिए जागें और बच्चों में शिक्षा का अलख जगाएँ, नशापान रोकें, अनुशासन एवं देशप्रेम जगाएं । इसवर्ष महिलाओं द्वारा फिर से आह्वान किया गया कि गांव के पहान-महतो बिसुसेन्दरा के अवसर पर सामाजिक जिम्मेदारी का संकेतक ‘‘पड़हा खेवा डांग’’ को बिसुसेन्दरा में गांव का पड़हा झण्डा के साथ चढ़ावें। इसतरह पुरूष-महिला मिलकर माननीय हाईकोट के संज्ञान पर आह्वान किये - आदिवासी जागरूक हों।
परम्परागत 22 ग्रामसभा पड़हा बिसुसेन्दरा 2024 की ओर से निम्नांकित निर्णय लिया गया -
1. माननीय हाईकोर्ट का निर्णय है कि आदिवासी मामले का निपटारा - आदिवासी कस्टमरी कानून के आधार पर हो। इसलिए बिसुसेन्दरा आदेश देती है कि उरांव समाज का कोई भी मामला तीन स्तरीय सामाजिक न्याय पंच व्यवस्था के आधार पर निर्णय करे। इनमें से - (क) पद्दा पंच्चा अर्थात ग्राम सभा न्याय पंच (ख) पड़हा पंच्चा अर्थात पड़हा न्याय पंच (ग) बेःल पंच्चा अर्थात बेल स्तर पर न्याय पंच।
2. पद्दा पंच्चा अथवा ग्रामसभा न्याय पंच की अध्यक्षता रूढ़ीगत रूप से गांव के पहान द्वारा किया जाए तथा पहान की अनुपस्थिति में महतो द्वारा किया जाए। गांव के कोई मामला ग्राम सभा अध्यक्ष के नाम से लिखित शिकायत आवे और ग्राम सभा अध्यक्ष उस शिकायत के आधार पर दोनों पक्ष को नोटिस देकर बुलावे और गांव के पंच मिलकर न्याय करें। कार्यवाही को ग्रामसभा रजिस्टर में दर्ज करें और पंच गण हस्ताक्षर करें। इसी तरह पड़हा न्याय पंच का बैठक की अध्यक्षता परम्परागत बेल पद्दा के पड़हा बेल द्वारा किया जाए। पड़हा बेल के मदद के लिए सभी गांव वाले रहें। बैठक की कार्यवाही लिखित हो तथा पड़हा बेल एवं पंच गण हस्ताक्षर या अंगुठा लगाएं। तीसरी व्यवस्था अर्थात बेल पंच्चा न्याय पंच व्यवस्था की अध्यक्षता अपने क्षेत्र के 3 या 5 या 7 या 9 अलग-अलग पड़हा के पड़हा बेल लोगों का समूह द्वारा किया जाए, जिसकी अध्यक्षता उन 3 या 5 या 7 या 9 में से किसी एक मदईत पड़हा बेल द्वारा किया जाएगा, जिसका चयन शिकायत कर्ता द्वारा किया जाए। बैठक की कार्यवाही लिखित हो तथथ सभी पड़हा बेल एवं पंच हस्ताक्षर या अंगुठा लगाएं।
3. प्रत्येक 03 वर्ष में ग्रामसभा न्याय पंच समिति का गठन करे और इसकी सूचना अपने उपायुक्त महोदय को दे। वर्ष 2024 का ‘‘परम्परागत ग्रामसभा पड़हा बिसुसेन्दरा, गुमला मण्डल’’ द्वारा अनुमोदित निर्णय को महामहीम राज्यपाल, झारखण्ड, आयुक्त रांची प्रमण्डल एवं उपायुक्त गुमला अथवा गुमला मण्डल को सूर्चनार्थ एवं आवश्यक क्रियार्थ हेतु भेजे।
विशिष्ट जानकारी के लिए पी.डी.एफ.देखें ' ़
रिपोटर -
सुश्री नितु साक्षी टोप्पो
पेल्लो कोटवार, अद़्दी अखड़ा, रांची।
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