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धुमकुड़िया को जीवित करने के लिए मौसम अनुसार रागों में गीतों का अभ्यास जरूरी : डॉ नारायण उरांव “सैन्दा”

धुम-ताअ़+कुड़ियां = धमकुड़िया शब्द बना है।  धुमकुड़िया उरांव आदिवासी गांव में एक पारंपरिक सामाजिक पाठशाला सह कौशल विकास केंद्र है। दादा-दादी या नाना-नानी अपने पोते-पोतियों, नाती को बुलाकर उन्हें गायन-नृत्य-वादन सीखने देते हैं। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि वह प्रणाली या वातावरण जहाँ बच्चे गाना-नाचना और खेल-खेल में पारंपरिक अभ्यास करना सीखते हैं।  टीम धूमकुड़िया, रांची क्या कार्य करती है? यहां  टी-ट्राइबल ई-एजुकेशन ए-अवेयरनेस एम- मैनेजमेंट है।( T- Tribal E- Education A- Awareness M- Management  से बना “TEAM DHUMKUDIYA”) युवाओं को इकट्ठा करना, नेतृत्व गुणों का निर्माण करना, आत्मनिर्भर, नए अवसर पैदा करना, स्वरोजगार, गांवों में धुमकुड़िया का पुन: सुदृढ़ीकरण और कायाकल्प करना। हमारी आदिवासी संस्कृति, भाषा, लिपि (Tolong siki), परंपराओं, लोकगीतों, लोककथाओं आदि को हमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अभ्यास करते रहने में सहायता प्रदान करती है।

इस उद्देश्य से टीम धुमकुड़िया, रांची के द्वारा आदिवासी समाज के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य को प्रेरित करने हेतु ग्रीष्मकालीन धुमकुड़िया का एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन स्थान- केन्द्रीय धुमकुड़िया करमटोली, रांची में दिनांक 17/06/2024 समय सुबह 10:00 बजे से संध्या 04:00 बजे तक किया गया, कार्यक्रम  का शुभारम्भ सरना प्रार्थना एवं नगाड़ा बजा कर किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों (चिकित्सा, आरक्षण, विधि, व्यापार, आदिवासी व्यवस्था इत्यादि) से बुद्धिजीवियों के द्वारा बच्चों को उनके आगामी भविष्य पर लक्ष्य प्राप्ति मिल सके उस पर बातें बतलाई गई। डॉ नारायण उरांव “सैन्दा” ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा ऋतु अनुसार रागों का सामुहिक अभ्यास करते रहने से ही धुमकुड़िया व्यवस्था जीवंत होगी। यह बताकर उन्होंने असारी राग में कुँड़ुख डण्डी (गीत) गाया।  श्री एल० एम० उरांव, अध्यक्ष -अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय झारखंड इकाई,  झारखंड में एस सी/ एस टी आरक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें साझा की।

बुद्धिजीवियों में श्री राणा प्रताप उरांव (पड़हा समन्वय समिति के अध्यक्ष), डॉ नारायण उरांव “सैंदा” (MBBS, एम जी एम हॉस्पिटल), श्री एल० एम० उरांव अध्यक्ष- अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय झारखंड इकाई, प्रो० रामचंद्र उरांव (लॉ कॉलेज रांची), डॉ सबिंदर कच्छप (एन.आई. टी. मणिपुर, प्रोफेसर), श्री मनोहर उरांव (प्रोफेसर,आई. टी. आई. कॉलेज रांची), अमित भगत व कपिल टोप्पो (आंत्रप्रेन्योर), मंजरी राज उरांव (प्रोफेसर, डॉ बी० आर० अंबेडकर विश्व विद्यालय लखनऊ) आदि उपस्थित हुए। जिसमें उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र के बारे में भी बच्चों के बीच महत्वपूर्ण बातों को रखा जिससे युवा शिक्षा के क्षेत्र में अधिक लाभांवित हो सके। इस कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेज के छात्र-छात्राएं साथ ही आदिवासी छात्रावास के विद्यार्थीगण शामिल हुए।  

समापन पुर्व नव दंपती शिवशंकर उरांव व उनकी जीवनसाथी को खुशहाल जीवन की शुभकामनाएं दी गई। इस कार्यक्रम का सफल आयोजन टीम धुमकुड़िया के सदस्य जो है - नागराज उरांव, सरिता उरांव, श्री फुलदेव भगत, डा० विनीत कुमार भगत, श्री ब्रज किशोर बेदिया, पंकज भगत, श्री रवि तिर्की, कृष्णा धर्मेश लकड़ा, कृष्णा हेम्ब्रम, विक्की बेक, नीतू साक्षी टोप्पो, इंदु प्रिया भगत, स्वाती असुर, सोमारी असुर, जगत कुजूर एवं प्रतीत कच्छप का मुख्य भूमिका में योगदान रहा। बच्चों के द्वारा इस कार्यक्रम को खूब सराहा गया साथ ही उनके द्वारा समय-समय पर ऐसा कार्यक्रम होने की मांग रखी गई जिससे उन्हें उचित मार्गदर्शन मिल सके।

रिपोर्टर - नीतु साक्षी टोप्पो, धुमकुड़िया पेल्लो कोटवार, अद्दी अखड़ा संस्था, रांची।
 

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