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कुँड़ुख़ (तोलोंग सिकी) का निरंतर प्रसार : एक शॉर्ट वीडियो

यह विडियो जतरा टाना भगत विद्या मंदिर, विशुनपुर, गुमला का है। यहां कुड़ुख़ भाषा की पढ़ाई तोलोंग सिकि लिपि में होती हैं। झारखंड सरकार द्वारा तोलोंग सिकि में परीक्षा लिखने की अनुमति मिलने के बाद से ही यहां कुड़ुख़ की पढ़ाई तोलोंग सिकि में आरंभ हुई है। रिपोर्टर - भुवनेश्वर उरांव।

सरना धर्मकोड पर केंद्र और राज्‍य दोनों आदिवासियों को धोखा रहे हैं : सालखन मुर्मू

- अब वक्‍त आ गया है कि राज्‍य की हेमन्‍त सरकार आदिवासी हित में आगे आये और केंद्र सरकार समय रहते देश भर के 15 करोड़ आदिवासियों की भावना को ध्‍यान में रखते हुए आदिवासी संगठनों से धर्म कोड पर वार्ता शुरू करे वरना.. 
- 31 जनवरी 2021 को राष्ट्रव्यापी रेल-रोड चक्का जाम होगा जोरदार

उपेक्षित आदिवासी भाषाएं : 58 साल की शांति खलखो के संघर्ष की कहानी

27 साल पहले NET, JRF की पात्रता पानेवाली डॉ शांति खलखो के संघर्ष की कहानी, खुद उनकी जुबानी। रांची के जनजातीय भाषा विभाग में 12 साल तक बतौर प्रोफेसर पढ़ाती रही, लेकिन कभी बदले में उन्‍हें एक पैसा मेहनताना नहीं मिला। अब, एक बार फिर 18 जनवरी 2021 को 58 साल की उम्र में डॉ श्‍यामाप्रसाद मुखर्जी विश्‍वविद्यालय में नौकरी के लिए इंटरव्‍यू दिया डॉ शांति खलखो ने।.... Fact Fold (https://youtube.com/FactFold) चैनल के पत्रकार किसलय को अपनी पूरी कहानी बता रही हैं डॉ शांति खलखो..

सरना धर्म कोड के लिए रैली कोलकाता में

सरना धर्मगुरू बंधन तिग्‍गा का आव्‍हान् : पश्चिम बंगाल: सरना धर्म कोड की मांग करते हुए कोलकाता के नेताजी स्‍टेडियम में आदिवासी समाज की बड़ी रैली का आयोजन 03 जनवरी 2021 को किया गया। इस अवसर पर सरना धर्मगुरू बंधन तिग्गा ने मांग की कि प. बंगाल की राज्‍य सरकार सरना धर्म कोड सदन से पारित कर केन्द्र सरकार को अपनी अनुसंशा भेजे। इस अवसर पर हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित थे। 

धुमकुडि़या दिवस 2012 : एक स्‍वागत गीत

यह विडियो ग्राम सैन्दा, थाना सिसर्इ, जिला गुमला में धुमकुड़िया दिवस का है।  यह आयोजन डॉ0 नारायण उराँव ‘सैन्दा’ द्वारा परम्परागत सामाजिक संस्था ‘धुमकुड़िया’ को पुनर्जीवित करने के उदेश्य से दिनांक 14 जनवरी 2012 को किया गया था। इस आयोजन का उदेश्य कुड़ुख़ भाशा-संस्कृति को संरक्षण तथा संवर्द्धन करना है। साथ ही मातृभाशा के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा दिये जाने को बढ़ावा देना है। 

मीठे बोल बचपन के : आदिवासी समाज में भाषा का रियाज़ बचपन से ही शुरू होता है

यह विडियो लिटिबीर कुड़ुख़ एकेडमी, तिलसिरी, घाघरा, गुमला का है। कोरोना लॉकडाउन के चलते बच्चे घर में ही परम्परागत गीत सीख रहे हैं। 2रा विडियो में वही बच्चे अंगरेजी कविता याद कर रहे हैं। इस विद्यालय में कुड़ुख़ भाशा-संस्कृति के माध्यम से अंगरेजी एवं हिन्दी की उंचार्इ तक पहुँचने के उदेश्य से संचालित है। 

उपन्‍यासकार रणेन्‍द्र से पत्रकार किसलय की लंबी बातचीत

श्रीलाल शुक्‍ल स्‍मृति इफ्फको सम्‍मान के लिए चुने गए साहित्‍यकार रणेन्‍द्र (निदेशक, डॉ रामदयाल मुन्‍डा जनजातीय कल्‍याण एवं शोध संस्‍थान, रांची) से पत्रकार किसलय की लंबी बातचीत की झलकियां यहां देखिये/सुनिये।

पूरी बातचीत यहां सुन सकते हैं: https://youtu.be/95SDG6ExRCA

डॉ निर्मल मिंज का संदेश : KurukhTimes.com के लोकार्पण के अवसर पर

जाने माने शिक्षाविद् व आदिवासी चिंतक डॉ निर्मल मिंज ने KurukhTimes.com के लोकार्पण के अवसर पर अपना शुभकामना संदेश रिकार्ड करवाया है। आप भी सुनें..