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तोलोंग सिकि का कम्प्यूटर फॉन्‍ट 2002 में लोकार्पित

ज्ञातब्य हो कि तोलोंग सिकि लिपि के विकास में झारखण्ड अलग प्रांत आन्दोलन एवं आंदोलनकारियों की महती भूमिका रही है। ऐसे में 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड राज्य के गठन बाद सामाजिक चिंतकों के बीच आदिवासी भाषाओं के लिए नई लिपि का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विकसित करने की ओर ध्यान गया। इस क्रम में कई लोग कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विकसित कराये जाने की रूपरेखा तैयार करने में जुटे। उनमें से एक फा. प्रताप टोप्पो हैं‚ जो वर्ष 2000 में सत्यभारती‚ रांची के निदेशक पद पर कार्यरत थे।

(ऊपर के फोटो में बाएं से: फा. प्रताप टोप्पो, डॉ नारायण उरांव व श्री किसलय)

वैसे फा. प्रताप एक पुरोहित हैं और एक जर्नालिस्ट भी। उन्होंने जर्नालिज्म की पढ़ाई अमेरिका से की है और वे अपनी बात बेधड़क एवं निश्छल रूप से किया करते हैं। इसके चलते रांची के अधिकतर मीडिया कर्मियों का फा. प्रताप से अच्छे रिश्‍ते रहे हैं। उन पत्रकारों में से श्री किसलय एक ऐसे पत्रकार हैं जो आदिवासी अस्मिता एवं विकास के मुद्दे पर अभिरूचि रखते हैं। अपनी पत्रकारिता के दौरान वे कम्यूटर पर उनकी समझ रही है। इसी क्रम में फा. प्रताप ने डॉ. नारायण उरांव की मुलाकात किसलय जी से नवम्‍बर 2000 में करायी। फा. प्रताप ने डॉ. नारायण से कहा गया कि तोलोंग सिकि का कम्प्यूटर फोन्ट विकसित करने का कार्य किसलय जी कर देंगे। इसी तरह समय-समय पर तीनो लोगों में आपसी विमर्श होता रहा। इस वैचारिक जद्दोजहद के बारे में एक लेख के माध्यम से किसलय जी ने कहा है कि वे पेशे से पत्रकार हैं तथा वे कम्प्यूटर के बारे जितनी जानकारी हासिल किये हैं, वह अपनी शौक की वजह से। उन्होंने कम्प्यूटर विज्ञान में कोई डिग्री-डिप्लोमा नही किया है। इन सबके बाद भी उन्होंने तोलोंग सिकि का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विकसित करने हेतु वचन दे दिया। यह उनकी जिद्द और लगन थी कि वे ऐसा कर सकते हैं और आखिरकार रास्ता ढूँढ़ लिया। अब यहाँ सवाल था कि कम्प्यूटर की-बोर्ड को किस प्रकार सजाया जाय। इस स्थान पर दो बातें सामने आयीं। 1. रेमिंगटन की बोर्ड तथा 2. फोनेटिक की बोर्ड। यहां पर यह समझा गया कि दुनियाँ में लोग फोनेटिक की-बोर्ड की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए तोलोंग सिकि के लिए फोनेटिक की बोर्ड के तरीके को अपनाया जाए। इस विचारधारा पर डॉ. नारायण उराँव द्वारा एक कीबोर्ड तैयार किया गया जिसपर ‘‘तोलोंग सिकि की-बोर्ड डिजाइन" का कार्य किसलय जी द्वारा पूरा किया गया। यह फोन्ट डिजाइन एवं की-बोर्ड डिजाइन, नि:शुल्क किया गया तथा आदिवासी समाज के लिए नि:शुल्क उपलब्ध है। किसलय जी द्वारा विकसित फोन्ट का नाम KellyTolong  है। इस लिपि का कम्प्यूटर वर्जन KellyTolong   font का लोकार्पण दिनांक 20 नवम्बर 2002 को श्री हरिवंश (वर्तमान राज्यसभा डिपुटी-स्पीकर)‚ बिशप तेलेस्फोर पी. टोप्पो‚ डॉ. करमा उराँव‚ श्री मनोरंजन लकड़ा‚ श्री किसलय‚ डॉ. नारायण उराँव आदि की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। 

इसका द्वितीय संस्करण वर्ष 2007 में हुआ है। इस संस्करण का लोकार्पण ततकालीन शिक्षा मंत्री‚ झारखण्ड सरकार श्री बंधु तिर्की‚ माननीय कार्डिनल तेलेस्फॉर पी. टोप्पो‚ डॉ. करमा उराँव‚ श्री किसलय‚ डॉ. नारायण उराँव आदि की उपस्थिति में दिनांक 03 अप्रैल 2007 को सम्पन्न हुआ। 

वर्तमान KellyTolong key board layout का अपडेटेड वर्जन 2020 उपयोक्ताओं के लिए उपलब्ध है तथा KellyTolong font का वर्तमान 2020 वर्जन https://tolongsiki.com & https:/kurukhtimes.com वेब साइट से नि:शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है।

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संकलन एवं आलेख -
भुनेश्वर उराँव
सहायक शिक्षक,
जतरा टाना भगत विद्या मंदिर,
बिशुनपुर, घाघरा, गुमला।

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