ज्ञातब्य है कि कुँड़ुख़ भाषा, झारखण्ड में द्वितीय राजभाषा एवं प० बंगाल में Official language के रूप में मान्यता प्राप्त है। झारखण्ड सरकार द्वारा वर्ष 2011 में कई भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का मान्यता दिया गया, जिनमें से कुँड़ुख़ भाषा भी एक है। इसी तरह 2018 में प० बंगाल में कई भाषाओं को Official language का मान्यता दिया गया, जिनमें कुँड़ुख़ भी शामिल है। साथ ही इन दोनों राज्यों में कुँड़ुख़ भाषा की लिपि के रूप में तोलोंग सिकि के माध्यम से सरकारी स्तर पर पुस्तक प्रकाशन किया जा रहा है। झारखण्ड में वर्ष 2009 से तोलोंग सिकि में लगातार मैटि्रक में कुँड़ुख़ भाषा विषय की परीक्षा लिखी जा रही है।
इस लिपि का प्रारंभिक स्वरूप दिनांक 24 सितम्बर 1993 को सरना नवयुवक संघ द्वारा राँची कॉलेज, राँची के सभागार में आयोजित, करम पूर्व संध्या, के अवसर पर सर्वप्रथम जनमानस के सामने रखा गया। नई लिपि विकास के आरंभिक दौर में झारखण्ड अलग प्रांत आन्दोलन के कई छात्र नेता इस प्रस्तुति से बहुत खुश हुए और डॉ० नारायण उराँव को इस कार्य के लिए बधाई दिया। इसी तरह राँची विश्वविद्यालय, राँची के मानवशास्त्री डॉ० करमा उराँव की ओर से भी शुभकामनाएँ दी गई। सरना नवयुवक संघ की ओर से आयोजित करम पूर्व संध्या कार्यक्रम में जनमानस के बीच प्रस्तुत करने का अवसर देकर कुँड़ुख़ भाषा के विकास में संघ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
रिपोर्टर -
भुनेश्वर उराँव
सहायक शिक्षक,
जतरा टाना भगत विद्या मंदिर,
बिशुनपुर, घाघरा, गुमला।