आदिवासियों बेटियों की पिता की जमीन में हिस्सेदारी के पक्ष में हाईकोर्ट के फैसले आदिवासी समाज का एक तबका खुद को आहत बता रहा है। 22 मई को भरनो थाना क्षेत्र में 22 पड़हा पारंपरिक बिसु सेन्दरा द्वारा आयोजित वार्षिक बैठक में यह चिंता का विषय बना रहा। संगठन द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके यह जानकारी दी गई है।
दिनांक 22.05.2022 दिन रविवार को ग्राम : अताकोरा गडरी टोली, थाना : भरनो, जिला : गुमला में 22 पड़हा परम्पारिक ग्रामसभा बिसुसेन्दरा का वार्षिक बैठक सम्पन्न हुई। यह ‘‘22 पड़हा परम्पारिक ग्रामसभा बिसुसेन्दरा‘‘ परम्परागत उराँव समाज का परम्पारिक सामाजिक एवं न्यायिक संगठन है। गुमला जिला के सिसई-भरनो क्षेत्र में यह बैठक प्रतिवर्ष बैसाख महीने में हुआ करता है, परन्तु कोरोना महामारी तथा पंचायत चुनाव के चलते प्रशासनिक दृष्टिकोण से इस बार यह बैठक एक सप्ताह बाद हुआ। इस बैठक में 9 पड़हा गांव, 7 पड़हा गांव तथा 6 पड़हा गांव के लोग उपस्थित हुए। परम्परागत ग्रामसभा-पड़हा-बिसुसेन्दरा के पड़हा बेल श्री दशरथ टाना भगत, पड़हा देवान श्री गजेन्द्र उराँव एवं पड़हा भँड़ारी श्री मटकु उराँव की देखरेख एवं संयोजन में यह दो दिवसीय सामाजिक बैठक पूरा हुआ। इस बैठक में 22 गांव के पहान, महतो, पुजार, करठा, कोटवार एवं पड़हा प्रेमी लोगों के साथ मानवशास्त्री डॉ० करमा उराँव, साहित्यकार श्री महादेव टोप्पो, नेश्नल लॉ यूनिवर्सिटी के असिस्टेन्ट प्रोफेसर श्री रामचन्द्र उराँव, राजी पड़हा, भारत के पड़हा देवान श्री फउदा उराँव एवं कैप्टन लोहरा उराँव, समाजसेवी श्री लवहरमन उराँव, समाजसेवी श्री दिनेश उराँव, अद्दी अखड़ा के अध्यक्ष श्री जिता उराँव, तोलोंग सिकि के संस्थापक डॉ० नारायण उराँव आदि उपस्थित थे।
इस बैठक में सर्व सहमति से ‘‘22 पड़हा परम्पारिक ग्रामसभा बिसुसेन्दरा‘‘ द्वारा वर्ष 2019 में पारित घोषणा पत्र को स्वीकार किया गया। साथ ही माननीय हाईकोर्ट, झारखण्ड, राँची द्वारा First Appeal No 124 of 2018, बग्गा तिर्की बनाम श्रीमती पिंकी लिण्डा के मामले में परिवार न्यायालय, राँची को दिये गये निर्देश पर सहमति जतायी। आदेश में कहा गया है कि परिवार न्यायालय, संबंधित मामले में उनके Customary divorce के तरीके से देखे और निपटारा करे। इस निर्णय को परम्पारिक पड़हा बैठक के उपस्थित सदस्यों ने सहर्स स्वीकार किया तथा उच्च न्यायालय के कार्य की सराहना की।
दूसरी ओर माननीय हाईकोर्ट, झारखण्ड, राँची द्वारा S.A. No. 127 of 2014, प्रभा मिंज बनाम मरथा मिंज, रितेश मिंज, मंजु मिंज वगैरह के मामले में दिये गये निर्णय पर आपत्ति जतायी। माननीय हाईकोर्ट ने प्रार्थी प्रभा मिंज के पक्ष में फैसला दिया है, जिससे यह समझा जा रहा है कि आदिवासियों में भी अब बेटी को अपने पिता के जमीन पर हिस्सा देना होगा। माननीय हाईकोर्ट, झारखण्ड के इस निर्णय से उराँव आदिवासी समाज आहत हुआ है। वर्तमान में यह परम्परा है कि - पुत्री, शादी से पूर्व पिता के घर तथा शादी के बाद पति के घर स्वतः पारिवारिक हिस्सेदार है। सी एन टी एक्ट जमीन मामले में खाश करके भुईहरी जमीन तथा कोड़कर जमीन वंशानुगत है। पूर्व में सरकार एवं न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा है। बैठक में उपस्थित सभासदों ने कहा - हजारों वर्ष से चली आ रही इस प्रथागत व्यवस्था में कई अच्छाईयाँ भी हैं, जिसे कोर्ट द्वारा नजर अंदाज किया गया। समाज को सरकार के सहयोग से रिभ्यू पर जाना चाहिए।
इन दो महत्वपूर्ण मुद्दों तथा अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श के साथ पड़हा बेल श्री दशरथ टाना भगत द्वारा बैठक समाप्त हुआ।
रिर्पोटर – गजेन्द्र उरांव
ग्राम - सैन्दा
थाना - सिसई
जिला - गुमला
झारखण्ड