रांची: झारखंड के आदिवासी चाहते हैं कि उनके बच्चों को अंग्रेजी, हिन्दी के अलावा अपनी मातृभाषा (आदिवासी) भी पढ़ना अनिवार्य किया जाए। जबकि झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग ने एक अधिसूचना जारी करके आदिवासी समाज में उबाल जा दिया है। इस बाबत आदिवासियों की चर्चित स्वयंसेवी संस्था 'अद्दी अखड़ा (अद्दी कुंड़ुख चा:ला धुमकुडि़या पड़हा अखड़ा)' ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर तुरंत मध्यस्तता की मांग की है।
अद्दी अखड़ा की प्रवक्ता डॉ शान्ति खलखो ने अपने उस पत्र में झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग JCERT की एक अधिसूचना संख्या - 1656 दिनांक - 29.11.2023 का हवाला देते हुए सवाल किया है कि क्या आदिवासी हिन्दी भाषा नहीं पढ़ेंगे? क्या आदिवासियों को हिन्दी पढ़ने के लिए अपनी मातृभाषा की पढ़ाई छोड़ना पड़ेगा? क्या सरकार आदिवासियों को संस्कृत अथवा उर्दु पढ़ने पर बाध्य करना चाहती है? ये सवाल JCERT की उस अधिसूचना को देखने से गहराता है। प्रवक्ता डॉ खलखो ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह स्वयं मध्यस्तता करते हुए झारखंड विभाग को निर्देशित करें ताकि आदिवासी भाषा-संस्कृति के संरक्षण-संवर्द्धन हेतु हिन्दी, अंग्रजी तथा आदिवासियों की मातृभाषा के पठन-पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित हो और इन्हीं भाषाओं में परीक्षा आयोजित करवाया जा सके।
(इस पत्र के अलावा JCERT की अधिसूचना की प्रति नीचे पीडीएफ में भी पढ़ सकते हैं। )
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