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धुमकुड़िया का  उद्घाटन : दिनांक  16/06/2024 : स्थान :- आताकोरा लेटंगा टोली, भरनो

भरनो :-आताकोरा लेटंगा टोली  के युवाओं  ने  विलुप्त होती कुंडुख़  भाषा संस्कृति  की संरक्षण  एवं  संवर्धन  करने  के उद्देश्य  से  श्रम दान कर  एक धुमकुड़िया  का नव निर्माण  किया है ।  धुमकुड़िया नव निर्मित करने के बाद  में  एक विशेष नेग ,पूजा-अनुष्ठान- डण्डा कट्टना  किया  जाता है ।  दिनांक  16/06/2024 को  आताकोरा लेटंगा टोली  के नव निर्मित धुमकुड़िया में डण्डा कट्टना/धुमकुड़िया बेंज्जा (उद्घाटन) कार्यक्रम  सम्पन्न हुआ। विलुप्त होती कुँडुख़ भाषा सांस्कृति एवं  कुँडुख़ भाषा  की अपनी लिपि  तोलोंग सिकि का  संरक्षण एवं संवर्धन कार्य से जुड़े  कुँडुख़ समाज के  पहान पुजार ,महतो ,पड़हा - बेल ,दिवान ,कोटवार,  कुँडुख़ भाषा प्रेमी ,कुँडुख़ शिक्षक, मुखिया, सरपंच, विधायक -प्रतिनिधि साथ में थाना प्रभारी, इस कार्यक्रम  में शामिल हुए।  कुँडुख़ सामाजिक शिक्षक एतवा उराँव के द्वारा  सृजन खीरी एवं डण्डा कट्टना खीरी (कहानी)  सुनाकर तथा डण्डा कट्टना  नेग-अनुष्ठान करने  के साथ धुमकुड़िया बेंज्जा-उद्घाटन एवं डण्डा कट्टना  नेग कार्यक्रम का शुरुआत किया गया । एतवा उराँव  ने  बताया कि डण्डा कट्टना नेग शुभ ( अच्छा) हुआ । हमलोग सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।  9 पड़हा  दिवान पचु उराँव ने कहा  कि  धुमकुड़िया  के द्वारा ही अपनी भाषा संस्कृति नेग चार को  बचाया जा  सकता है। महादेव चैगरी के दीपक उराँव ने कहा कि  धुमकुड़िया - कुँडुख़र का सामाजिक  पाठशाला है ।मकरा  के  सोमेश्वर उराँव  ने कहा कि आज  हर गांव में धुमकुड़िया खोलने की आवश्यक है । आताकोरा पंचायत  के मुखिया मीरा उराँव ने कहा कि पहले  हमारे पंचायत के हर गांव, टोला  में धुमकुड़िया खोला जाए। आताकोरा पंचायत  के  महादेव चैगरी  के युवाओं ने  धुमकुड़िया  खोलकर अपनी भाषा - लिपि  सीखने के लिए उत्सुक हैं। सरपंच  राजेश्वरी उराँव के द्वारा युवाओं  की  इस प्रयास  की सराहना की गई।  सरपंच  फुलकुमारी केरकेट्टा  ने गडरी टोला  में धुमकुड़िया खोलने की  बात कही ।  पूर्व मुखिया  बुधराम उराँव का  कहना है  कि कुँडुख़ भाषा -सांस्कृति, तथा  कुँडुख़ लिपि  की विकास  के लिए ,हम सभी युवा, बुजुर्गो  को हर गांव  में धुमकुड़िया खोलने की  पहल करना ही होगा। पड़हा कोटवार गजेन्द्र उरांव  ने कहा कि एक अभियान के तहत  हर गांव में धुमकुड़िया खोला जाए। कैप्टन लोहरा उराँव  ने  कहा कि हर गाँव में धुमकुड़िया संचालन करने के साथ पड़हा व्यवस्था  को भी मजबूत करने की आवश्यकता है ।  पड़हा संयोजक ,कुँडुख़ स्कूल संचालक, लोहरदगा एवं लातेहार जिला में सामाजिक स्तर से धुमकुड़िया  शिक्षण  कार्य शुरु करने वाले संजीव भगत ने अपनी मातृभाषा कुँडुख़ से सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कुँडुख़ भाषा  को  बचाना है तो कुँडुख़ स्कूल और धुमकुड़िया को बढ़ावा देना ही होगा  ,भरनो मरासिलि  मुखिया  सुकेश उराँव ने   कहा कि अगर हमें कुँडुख़ संस्कृति,पराम्परा  को बचाना हैं तो अपनी माँ की भाषा कुँडुख़ बोलना होगा और कुँडुख़ भाषा की लिपि तोलोंग सिकि से लिखना पढ़ना होगा। आगे कहा कि आज मैं उराँव आदिवासी होने के बावजूद अपनी लिपि तोलोंग सिकि से लिखा हुआ को  नही पढ़ पा रहा हूँ यह  शर्मिन्दा की बात है। विधायक प्रतिनिधि - अभिषेक लकड़ा ने  बताया कि हमारे विधायक जिगा सुसारण होरो के द्वारा गुमला जिला में सबसे ज्यादा कुँडुख़ समाज  के लिए सरना-मसना घेरा एवं  धुमकुड़िया, अखड़ा का निर्माण कार्य को  धरातल पर उतारने तथा  क्रियान्वयन करने का रिकार्ड है। विधायक  प्रतिनिधि बुद्धदेव  उराँव ने बताया कि  झारखंड सरकार ने आदिवासियों की भाषा का संरक्षण  एवं संवर्धन करने का कार्य कर रही है। विधायक प्रतिनिधि पंचु उराँव ने बताया कि अब  सरकारी स्कूलों में कुंडुख़ भाषा विषय की पढ़ाई लिखाई  होगी। इसके लिए सरकार शिक्षक बहाली करने जा रही है।भरनो थाना प्रभारी  अरविंद कुमार ने कहा कि मैं उराँव आदिवासियों की विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल हुआ हूँ। लेकिन ऐसे कार्यक्रम पहली बार देख रहा हुँ यहाँ भाषा  शिक्षा की बात हो रही है यह सराहनीय कार्य है । इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से  निम्न लोग शामिल हुए थे- सुकरा उराँव, जोंख़ कोटवार एतवा उराँव, पेल्लो कोटवार  चाँदमुनी उराँव, लक्ष्मण उराँव रामकेशवर उराँव, चरवा उराँव, मिर्जा उराँव करमपाल उराँव अस्त उराँव, बिरसा उराँव  नंदु उरांव  ग्राम प्रधान बटकुरी मंगरा उराँव, गुप्तेश्वर उराँव, जागो उराँव, जोनशन लकड़ा,प्रकाश उराँव, विनोद उराँव, गोबरा उराँव,मंच संचालन का कार्य अरविंद उरांव ने किया । धन्यवाद ज्ञापन बिजला उराँव ने किया।

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